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दिल्ली बाल संरक्षण आयोग की फंडिंग LG द्वारा रोकने के आरोपों पर DCPCR को दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग को उस प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर एलजी के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए फटकार लगाई , जो एलजी कार्यालय द्वारा कभी जारी नहीं की गई थी.

Delhi-High-Court

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली बाल संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की फंडिंग LG द्वारा रोकने के आरोप के मामलें में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने फर्जी प्रेस रिलीज के आधार पर कोर्ट में याचिका दाखिल करने पर डीसीपीसीआर को फटकार लगाई है.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( डीसीपीसीआर ) को उस प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर एलजी के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए फटकार लगाई , जो एलजी कार्यालय द्वारा कभी जारी नहीं की गई थी. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि पूरी याचिका एक प्रेस पर आधारित है जिसे एलजी कार्यालय ने जारी नहीं किया है. न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा, “आपने ( डीसीपीसीआर और पूर्व सदस्यों में से एक) ने गैरजिम्मेदाराना काम किया है.”

संवैधानिक पदाधिकारी पर आरोप को लेकर रहें गंभीर

जस्टिस प्रसाद ने यह भी कहा कि जब आप किसी संवैधानिक पदाधिकारी पर आरोप लगा रहे हों तो आपको अधिक गंभीर होना होगा. न्यायमूर्ति प्रसाद ने डीसीपीसीआर के वकील से पूछा, “आपको यह प्रेस विज्ञप्ति कहां से मिली जो सार्वजनिक डोमेन में नहीं है.” अदालत ने कहा कि 23 जनवरी, 2024 को एक हलफनामा दायर किया गया था, जिसके जवाब में कहा गया था कि ऐसी कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई थी. पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता रंजना प्रसाद अब डीसीपीसीआर के कार्यालय में कार्यरत नहीं हैं. पीठ ने पूछा कि क्या वह याचिका बरकरार रखना चाहती हैं.

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29 फरवरी को अगली सुनवाई

हाई कोर्ट ने दस दिन बाद आयोग के कार्यालय में एक अधिकारी द्वारा हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले को आगे की सुनवाई के लिए 29 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है. दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उनके द्वारा दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( डीसीपीसीआर ) की फंडिंग रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया गया था. उक्त हलफनामा न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद के 19 जनवरी 2024 के आदेश के तहत दाखिल किया गया है.

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