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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है. यह फैसला बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की याचिका पर आया है.

Delhi High Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय चुनाव आयोग के पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत राजनीतिक दलों के चुनावों के आंतरिक मामलों में पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार नहीं है. धारा 29ए राजनीतिक दलों के रूप में संघों और निकायों के ईसीआई से पंजीकरण से संबंधित है.

जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि उक्त प्रावधान के तहत चुनाव आयोग किसी भी संघ या व्यक्ति के निकाय को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करने के लिए आवेदनों पर विचार करने एवं यह सुनिश्चित करने तक सीमित है कि बाद में होने वाले किसी भी महत्वपूर्ण परिवर्तन की सूचना रिकार्ड के लिए दी जाए. लेकिन एक बार राजनीतिक दल के पंजीकृत हो जाने के बाद धारा 29ए ईसीआई को यह समीक्षा करने का कोई पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार नहीं देता है कि पार्टी अपने संविधान का पालन या आंतरिक चुनावों में अपने संविधान का पालन करती है या नहीं.

राष्ट्रीय अध्यक्ष की याचिका खारिज

न्यायमूर्ति ने यह कहते हुए बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेंद्र प्रताप सिंह की याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने पार्टी के संविधान में उल्लिखित दिशानिर्देशों के अनुसार सदस्यों को उचित नोटिस देने के बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलाने और पदाधिकारी चुनने के लिए ईसीआई को एक नया नोटिस जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी. याचिका में यह भी मांग की गई कि ईसीआई वर्ष 2022 में राष्ट्रीय कार्यसमिति में चुने गए पार्टी के नवनिर्वाचित पदाधिकारी को स्वीकार करे और उसे रिकॉर्ड पर ले.

ईसीआई के अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने इस आधार पर याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई कि राजनीतिक दलों के भीतर आपसी विवादों को सुलझाने के लिए आयोग को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता है. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलाने और पदाधिकारियों को चुनने के लिए ईसीआई को नोटिस जारी करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. कोर्ट ने इसके बाद याचिका को योग्यता से रहित बताते हुए खारिज कर दिया.

साथ ही याचिकाकर्ता को सलाह दिया कि यदि वे व्यथित हैं तो सिविल उपायों का सहारा लेने के लिए स्वतंत्रत है. उसने कहा कि बहुजन मुक्ति पार्टी एक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है और चुनाव आदि से संबंधित इसके आंतरिक मामलों के संबंध में पर्यवेक्षी अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के लिए ईसीआई को कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलाने का निर्देश तो दूर की बात है.

-भारत एक्सप्रेस



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