अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना. (फाइल फोटो: IANS)
Delhi Liquor Policy – LG VK Saxena Vs Arvind Kejriwal: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शनिवार (21 दिसंबर) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को आबकारी या शराब नीति घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. सचिवालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अधिकारियों के अनुसार, ईडी ने 5 दिसंबर को मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र को पत्र लिखकर केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. आप ने अपनी ओर से दावा किया कि ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई है. उसने ईडी पर इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. इस मामले में केजरीवाल और उनके पूर्व डिप्टी मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जेल जा चुके हैं.
ईडी ने मांग मंजूरी
ईडी द्वारा मंजूरी के लिए किए गए अनुरोध में कहा गया है, ‘यह सूचित किया जाता है कि इस कार्यालय ने वर्ष 2021-22 के लिए दिल्ली के जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं के लिए मेसर्स इंडो-स्पिरिट्स और अन्य मामले में अरविंद केजरीवाल (आरोपी संख्या 37) के खिलाफ अभियोजन शिकायत (एसपीसी-7) 17/05/2024 को दायर की है.’
ईडी ने कहा कि एक विशेष अदालत ने भी उसके द्वारा दिनांक 09/07/2024 को दायर अभियोजन शिकायत का संज्ञान लिया था और सुप्रीम कोर्ट ने ईडी बनाम बिभु प्रसाद आचार्य और अन्य के मामले में स्पष्ट किया था कि सीआरपीसी का प्रावधान पीएमएलए की धारा 65 पर लागू होता है और अपने दिनांक 06/11/2024 के फैसले के अनुसार, धारा 71(1) ‘सीआरपीसी के प्रावधान को ओवरराइड नहीं कर सकती है जो पीएमएलए पर लागू होती है’.
अनुमति में यह भी कहा गया है, ‘उपर्युक्त तथ्य और परिस्थितियों को देखते हुए दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पीएमएलए की धारा 4 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति की आवश्यकता हो सकती है.’ सचिवालय अधिकारियों के अनुसार, सक्सेना ने बाद में ईडी के मामले के संबंध में केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.
आम आदमी पार्टी ने क्या कहा
इस घटनाक्रम को लेकर आप ने कहा, ‘तथ्य यह है कि वे शिकायत दर्ज होने के लगभग एक साल बाद अभियोजन स्वीकृति के बारे में बात कर रहे हैं, यह दर्शाता है कि प्रवर्तन निदेशालय इस मामले को किस लापरवाही से संभाल रहा है.’ इसे ‘आप सरकार को राजनीतिक रूप से बदनाम करने’ का प्रयास करार देते हुए पार्टी ने एजेंसी पर ‘हर प्रक्रियागत मानदंड का उल्लंघन’ करने और जांच के नाम पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.
आप ने आरोप लगाया, ‘तथाकथित शराब घोटाले की जांच दो साल तक चली, 500 लोगों को परेशान किया गया, 50,000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए गए और 250 से अधिक छापे मारे गए, लेकिन एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ.’ पार्टी ने कहा, ‘और पिछले वर्षों में विभिन्न अदालती आदेशों द्वारा मामले में कई खामियां उजागर की गई हैं. भाजपा का असली लक्ष्य किसी भी तरह से आप और अरविंद केजरीवाल को कुचलना है.’
-भारत एक्सप्रेस
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