सांकेतिक तस्वीर.
देश में बढ़ रहे साइबर अपराध (Cyber Crime) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रदीप यादव ने दायर की है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की गई है. जो साइबर फ़्रॉड (Cyber Fraud) को रोकने के लिए सुझाव दे.
Cyber Fraud बना रहे लोगों को निशाना
याचिका में कहा गया है कि साइबर ठगों ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जजों तक को ठगी का शिकार बना चुके हैं. याचिका में एक पूर्व सीजेआई से की गई ठगी और वर्तमान सीजेआई के नाम पर की गई ठगी का भी हवाला दिया गया है. हाल ही में वर्धमान ग्रुप के अध्यक्ष एसपी ओसवाल से ठगों ने 7 करोड़ रुपये ठग लिए. जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस से की. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया और 7 लोगों अन्य लोगों की तलाश कर रही है. पुलिस ने इन ठगों से 5.25 करोड़ रुपए भी बरामद कर लिए है. ओसवाल पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित भी है. उनकी उम्र 82 साल है. वर्धमान ग्रुप भारत में सबसे बड़ा टैक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग ग्रुप है.
सीजेआई बनकर की ठगी
साइबर ठगों (Cyber Fraud) ने खुद को भारत का सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बताया और स्काइप के जरिए सुप्रीम कोर्ट की नकली सुनवाई की. इतना ही नहीं, ठगों ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को उन्हीं के खिलाफ चल रहे मनी लांड्रिंग के मामले का भी उन्हें डर दिखाया और उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर कर दिया.
साइबर ठगों ने फ्रॉड का एक नया तरीका खोजा है. डिजिटल अरेस्ट में पार्सल या कोरियर में ड्रग्स, बैंक खाते में गलत ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप जैसे ठगी के तरीके बहुत अपनाए जाते हैं. ऐसे मामलों में ठग पुलिस, सीबीआई, ईडी, कस्टम, आयकर विभाग या नारकोटिक्स अधिकारी की यूनिफॉर्म पहनकर लोगों को वीडियो कॉल करते है. झूठा आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट की बात कहते है. मानसिक तौर पर पीड़ित को तोड़ने और डराने का हर हथकंडा अपनाते हैं.
-भारत एक्सप्रेस