Bharat Express

चला गया सादगी का असरदार ‘सरदार’!

Personality Of Dr. Manmohan Singh : देश के मन को मोहने वाले ‘मनमोहन’ चले गए. सभी लोग उनका आदर करते थे. उनके रहने से लगता था घर का एक बड़ा बुजुर्ग निगेहबानी कर रहा है. लेकिन उनके जाने के बाद एक बड़ा वैक्यूम आ गया है.

Dr Manmohan singh photo

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह अपने जीवनकाल में ही सादगी सरलता के प्रतिमूर्ति बन गए थे. लोगों से मिलना, लोगों को तवज्जो देना उनकी आदत में शुमार था. एक बेहद साधारण घर में जन्मे मनमोहन सिंह ने तमाम जीवन के संघर्षों को पार करते हुए देश की कमान दो बार संभाली. वहीं, आर्थिक विकास के जरिये उन्होंने देश को मजबूती दी.

आज भारत माता दुखी हैं. देश दुखी है. क्योंकि, मां भारती के वरद पुत्र डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं. जीवन के संघर्षों की रपटीली डगर पर चलते हुए कुंदन हो गए थे मनमोहन सिंह और अपनी उस कुंदन की चमक से न सिर्फ देश में अपनी आभा बिखेरी, बल्कि दुनिया को भी आलोकित किया. यही वजह है कि उनके आर्थिक सुधारों का दुनिया ने भी लोहा माना.

Manmohan Singh News

एक गैर-राजनीतिक शख्सियत कैसे अपनी स्वीकार्यता सियासत में भी बना लेता है. इसके सबसे सटीक उदाहरण थे मनमोहन सिंह. अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक का सफर उनका आसान नहीं रहा. लेकिन अपने मौन को ही मुखर बना लिया था मनमोहन सिंह ने. उनके मौन ने उनके दोस्तों की संख्या बढ़ा दी और दुश्मन भी उनके उदार हृदय की. सादगी की अकथ कहानी कहते नहीं थकते थे.

अगर उनको विश्वयार कह लें तो किसी को इसमें परेशानी नहीं होगी. सभी का खुद ब खुद समर्थन रहेगा. शिक्षक से शुरुआत फिर अर्थशास्त्री और फिर देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर विराजमान हुए वो भी एक बार नहीं दो-दो बार.

आर्थिक सुधारों के इस ‘डॉक्टर’ का गुरुवार को स्वर्गारोहण हो गया.

देश के मन को मोहने वाले ‘मनमोहन’ चले गए. चलिए उनके जीवन सफर पर एक नजर डालते हैं. साल दर साल कैसे वो आगे बढ़ते गए. कैसे दुनिया के लिए भारत के बाजार को लुभाने वाला बना दिया. एलपीजी के जरिए जो उन्होंने एक अलख जगाई उसकी तो दुनिया दीवानी हो गई.

मनमोहन सिंह का कोई भी शत्रु नहीं था. सभी उनका आदर करते थे. उनके रहने से लगता था घर का एक बड़ा बुजुर्ग निगेहबानी कर रहा है, लेकिन उनके जाने के बाद एक बड़ा वैक्यूम आ गया है. जाहिर है मनमोहन सिंह जैसे लोग किसी युग में एक बार आते हैं. उनकी विद्वता, सरलता सदियों तक भूली नहीं जा सकती.

उनके एलपीजी मतलब किसी रसोई-ईंधन की बात नहीं, बल्कि एल- लिब्रलाइजेशन, पी-प्राइवेटाइजेशन और जी-ग्लोबलाइजेशन था. इसी सूत्र को उन्होंने साधा और भारत को बना सशक्त दिया.

आइए उनके जिंदगी के सफरनामे पर साल दर साल नजर डालते हैं…

मनमोहन का सफरनामा


1948: मैट्रिकुलेशन पूरा किया
1952-54: पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की
1957: कैम्ब्रिज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स
1957: पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में शामिल हुए
1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी. फिल
1963: अर्थशास्त्र में प्रोफेसर के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय में वापसी
1966-69: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में शामिल हुए
1969-71: दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर
1971: वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार
1972-76: वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार
1976: वित्त मंत्रालय में सचिव
1976: जे.एन.यू. में मानद प्रोफेसर
1982-85: आरबीआई के गवर्नर
1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष
1987: पद्म विभूषण से सम्मानित
1990-91: भारत के प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार
1991: यूजीसी के अध्यक्ष
1991: पीवी नरसिम्हा राव के अधीन वित्त मंत्री. राज्यसभा के लिए चुने गए. 1995, 2001, 2007, 2013 और 2019 में फिर से चुने गए.
1991-96: आर्थिक सुधार लाए और परमिट राज को ख़त्म किया
2004: भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने
2005: अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर
2007: भारत ने 9% की जीडीपी वृद्धि दर हासिल की और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया
2009: दूसरा कार्यकाल जीता – जवाहरलाल नेहरू (1962) के बाद पूर्ण कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुनाव जीतने वाले पहले प्रधानमंत्री का रिकॉर्ड
2012: दूसरे कार्यकाल में तीन कथित घोटाले हुए – स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, कोयला घोटाला और सीडब्ल्यूजी घोटाला
2014: जापान से ग्रैंड कॉर्डन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द पॉलाउनिया फ़्लॉवर्स प्राप्त हुआ
2014: आम चुनाव हारे और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया
2019: राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए
2024: उनकी 33 साल लंबी संसदीय पारी समाप्त. 92 साल की आयु में निधन


यह भी पढ़िए: 25-30 साल बाद भी दोस्त को नहीं भूले थे मनमोहन सिंह, देखते ही पूछा क्या हाल है हंसराज?

  • भारत एक्सप्रेस


इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read