सुप्रीम कोर्ट व इलेक्टोरल बॉन्ड.
Electoral Bond Case Update: चुनावी बॉन्ड की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह मामला सीजेआई के पास है. सीजेआई इस पर जल्द सुनवाई का फैसला लेंगे. याचिका में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच परस्पर साठगांठ की जांच एसआईटी से कराने की मांग की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड पर खुलासा किए गए डेटा से संकेत मिलता है कि कम से कम 20 कम्पनियों ने अपने निगमन के तीन साल के भीतर 100 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे तो कम्पनियां केवल कुछ महीने पुरानी थी. जिससे कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है.
फर्जी कम्पनियों की संख्या में वृद्धि
एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि डेटा से पता चला है कि विभिन्न घाटे में चल रही कम्पनियों और शेल कम्पनियां चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को भारी रकम दान कर रही थी और चुनावी बॉन्ड की शुरुआत के कारण फर्जी कम्पनियों की संख्या में वृद्धि हुई, जिनका इस्तेमाल कॉरपोरेट घरानों द्वारा अवैध धन को सफेद करने के लिए किया गया.
याचिका में अधिकारियों को शेल याचिका में कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड डेटा के जरिए जिन तथ्यों का खुलासा किया गया है, उनकी विस्तृत जांच कराई जानी चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि जांच में यह भी पता चले कि कम्पनियों की ओर से राजनीतिक दलों को दी गई राशि अपराध के जरिए अर्जित की गई है, तो उसे विभिन्न पार्टियों में वसूली का निर्देश भी अधिकारियों को दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को किया था खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे के लिए तय स्कीम चुनावी बॉन्ड को खारिज कर दिया था. चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह चुनावी बॉन्ड को कैश कराए जाने से संबंधित तमाम ब्योरे को सार्वजनिक करें. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से नया बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी.
-भारत एक्सप्रेस