सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court On Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये राजनीतिक पार्टियों, कॉरपोरेट और अधिकारियों के बीच कथित लेनदेन की एसआईटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को उद्योग जगत से मिले चंदे की एसआईटी जांच कराने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में अपने एक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड जारी करने वाले बैंक एसबीआई के चुनावी बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगा दी थी.
एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इलेक्टरोल बांड के जरिये दिये गए चुनावी चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. इस घोटाले की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की ज़रूरत है. याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा से पता चलता है कि ज्यादातर कॉरपोरेट ने लाभ के लिए या केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया था. याचिका में कहा गया है कि इन फर्जी और घाटे में चल रही कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को चंदा दिया गया है. जिन कंपनियों ने फायदा पहुचाने के बदले राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया है, वह चंदा राजनीतिक पार्टी से वसूला जाए.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एनडीए सरकार की शुरू की गई गुमनाम राजनीतिक चंदे की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द कर दी थी. संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि राजनीतिक दलों के योगदान को गुमनाम करके इलेक्टोरल बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत प्रदत मतदाता की सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मतदाताओं के सूचना के अधिकार के उल्लंघन को उचित नही ठहराया जा सकता है.
ज्ञात हो कि 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई के चेयरमैन की ओर से हलफनामा दायर कर कहा गया था कि बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित तमाम डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दिया था. इनमें बॉन्ड का यूनिक नंबर भी शामिल है. यूनिक नंबर उजागर होने से इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीददार का बॉन्ड भुनाने वाली राजनीतिक पार्टियों का पता चल चुका है. इसके तहत बॉन्ड खरीददार के डिटेल जिसमें सीरियल नंबर, बॉन्ड खरीद की तारीख, बॉन्ड का नंबर, बॉन्ड कितने का है, जारी करने वाले ब्रांच और किसे डोनेट किए गए, ये सब पब्लिक डोमेन में आ चुका है.
-भारत एक्सप्रेस