व्लादिमीर पुतिन, जो बाइडेन, पीएम नरेंद्र मोदी
G20 Summit 2023: दुनिया के सबसे बड़े डिप्लोमैटिक इवेंट के लिए नई दिल्ली में मंच सज चुका है. 9-10 सितंबर को होने वाले इस शिखर जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर सारी तैयारियां हो चुकी हैं. जी-20 दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है. ऐसे में दुनिया के शक्तिशाली देशों के नेताओं का जमावड़ा दिल्ली में देखने को मिलेगा. हालांकि, इसके पहले चीन और रूस के रवैए के कारण एक बार फिर साझा बयान जारी हो सकने के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं.
दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी-20 सम्मेलन में भारत ना आने का फ़ैसला किया है. पुतिन ने पीएम मोदी से फोन पर बात करके इस बैठक में शामिल होने में असमर्थता जताई थी. साथ ही उन्होंने बताया था कि रूसी विदेश मंत्री जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. वहीं चीन ने भी एक बयान जारी कर बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जगह चीन के पीएम इस बैठक में शामिल होने भारत आएंगे.
यूक्रेन एजेंडे पर रूस की चेतावनी
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद मॉस्को और अन्य पश्चिमी देशों के बीच दूरियां बढ़ी हैं. वहीं चीन इस मोर्चे पर रूस के साथ खड़ा नजर आया है. ऐसे में जी20 सम्मेलन से पहले यूक्रेन के मसले पर बयानबाजी तेज होती नजर आ रही है. रूस का स्पष्ट कहना है कि अगर इस समिट में अमेरिका ने यूक्रेन के एजेंडे को लेकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की तो साक्षा बयान की संभावना को मॉस्को ब्लॉक कर देगा. रूस इस समिट के दौरान तमाम एजेंडे पर अपनी सहमति की बात कर चुका है लेकिन उसको दिक्कत यूक्रेन के मसले से है.
हाल ही में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध के अलावा सभी मुद्दों पर जी20 देशों के बीच आम सहमति है. उन्होंने कहा कि इस विवादास्पद मुद्दे को नेताओं के बयान के मसौदे से हटा दिया जाना चाहिए ताकि शिखर सम्मेलन में इसके (मसौदे) जारी होने का मार्ग प्रशस्त हो सके.
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस-पश्चिमी देशों के बीच बढ़ी दूरियां
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से मॉस्को को लेकर पश्चिमी देशों का नजरिया बदला है, जो पुतिन को कतई पसंद नहीं आ रहा है. रूस इस युद्ध को पश्चिमी देशों के साथ अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर पेश करता है. पुतिन का कहना है कि पश्चिमी देश रूस की ताकत से डरते हैं और उसे तबाह करने की कोशिश में जुटे हैं ताकि मॉस्को के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमाया जा सके. वहीं पश्चिमी देश यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन की खुलकर मदद करते रहे हैं. वे रूस के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की कोशिश को तो खारिज करते हैं लेकिन उनका संकेत साफ है कि रूस को यूक्रेन इस युद्ध में हरा दे.
पश्चिमी देशों और कई संगठनों ने मॉस्को पर तरह-तरह के प्रतिबंध भी लगाए हैं. यहां तक कि यूक्रेन में युद्ध अपराधों के संदेह में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने मार्च में पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. ये बातें पुतिन को चोट देने के लिए काफी रही हैं और यही वजह है कि रूस एक बार फिर यूक्रेन के मुद्दे को जी20 शिखर सम्मेलन में हावी न होने देने की कोशिश में जुटा हुआ है.
बैलैंस बनाने की कोशिश में भारत
वहीं भारत की कोशिश ये होगी कि इस समिट को सफल बनाया जाए. साथ ही शिखर सम्मेलन में केवल यूक्रेन मुद्दे के इर्द-गिर्द ही चर्चा का स्तर सीमित न हो, बल्कि पर्यावरण, महंगाई, ग्लोबलाइजेशन, एजुकेशन पर भी विस्तार से बात हो. कुल मिलाकर अभी भारत रूस और पश्चिमी देशों के बीच इस तनातनी को सामान्य करने की कोशिश में जुटा है और अभी तक इसमें काफी हद तक सफल भी रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि रूस की इस चेतावनी पर अन्य जी20 देश बैठक में किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं.
-भारत एक्सप्रेस