सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद, गुवाहाटी समेत कई राज्यों के हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को जमानत देने के हलफनामा दाखिल किया है. इसको लेकर विभिन्न हाईकोर्ट ने कहा, जमानत देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का अनुपालन जिला एव अधीनस्थ अदालतों द्वारा कराया जा रहा है.
बता दें कि इस हलफनामे में दो पॉइंट्स का जिक्र किया गया है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से इस मसले पर जवाब तलब किया था और जवाब में विभिन्न हाईकोर्ट ने हलफनामे दाखिल किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद, गुवाहाटी समेत कई राज्यों के हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को जमानत देने के हलफनामा दाखिल किया है. इसको लेकर विभिन्न हाईकोर्ट ने कहा, जमानत देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का अनुपालन जिला एवं अधीनस्थ अदालतों द्वारा कराया जा रहा है. जिन अभियुक्तों के पास जमानत लेने संबंधी क्षमता नहीं है. उन्हें कानूनी सहायता मुहैया करायी जा रही है. सभी जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का अक्षरश: अनुपालन करने को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई थी कि फैसला सुनाए जाने के 10 महीने बाद भी जिला न्यायपालिका सतेंद्र कुमार अंतिल (सुप्रा) में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रही है , जिसमें उसने गिरफ्तारी एवं जमानत के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे. यह देखा गया कि गैर-अनुपालन का दोहरा असर होगा.
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हलफनामें में किया गया है दो प्वाइंट्स का जिक्र
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया गया है उसमें दो पॉइंट्स का जिक्र किया गया है. पहला ये कि लोगों को हिरासत में भेजना, जब उन्हें भेजने की आवश्यकता नहीं है तो वहीं दूसरे प्वाइंट में कहा गया है कि मुकदमेबाजी करना, जिनमें से दोनों का मानना है कि न्यायालय का समर्थन नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से इस मसले पर जवाब तलब किया था और जवाब में विभिन्न हाईकोर्ट ने हलफनामे दाखिल किए हैं.
-भारत एक्सप्रेस