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जब मशीन गन पर भारी पड़ गई खुखरी! अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय ने कैसे बदल डाला कारगिल युद्ध का रूख, आज है उनका बलिदान दिवस

महज 24 साल की उम्र में मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन मनोज पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रुद्र गांव में हुआ था. कैप्टन मनोज पांडेय के बलिदान दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

Captain Manoj Pandey

कारगिल का युद्ध शुरू हो चुका था. पाकिस्तानी सैनिक सामरिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण इलाका ‘खालोबार टॉप’ से दनादन गोलियां बरसा रहे थे. तभी इंडियन आर्मी का एक ऑफिसर 24 साल के लड़के को खालोबार टॉप पर कब्जा करने के लिए आदेश देता है. वो लड़का बिना झिझक इस आदेश को स्वीकार कर लेता है और अपने प्लाटून को लेकर निकल पड़ता है पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने.

एक-एक करके इस 24 साल के लड़के ने तीन पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट कर दिया, लेकिन चौथे बंकर की तरफ बढ़ते समय पाकिस्तानी सैनिकों ने इसपर गोलियों की बौछार कर दी. पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में इस नौजवान को 4 गोलियां लगती हैं और वह गिर पड़ता है. अपने कैप्टन को गिरते देख बाकि जवान पाकिस्तानी सैनिकों पर टूट पड़ते हैं और चौथे बंकर को भी नष्ट कर देते हैं. हालांकि जब वो वापस आते हैं तबतक वो 24 साल का नौजवान शहीद मिलता है. मात्र 24 साल की उम्र में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाला यह वीर जवान कोई और नहीं कैप्टन मनोज पांडेय थे. और वो टुकड़ी 11 गोरखा राइफल की थी. अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय ने आज ही के दिन 3 जुलाई को अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान दिया था.

captain Manoj Pandey
कैप्टन मनोज पांडेय की तस्वीर

यूपी के सीतापुर जिले के रहने वाले थे कैप्टन मनोज पांडेय

महज 24 साल की उम्र में मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन मनोज पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रुद्र गांव में हुआ था. जब उन्होंने हाई स्कूल में काफी अच्छे नंबर लाए तब उन्हें जो पैसे मिले, उससे अपने पिता को एक साइकिल भेंट की थी.

captain Manoj Pandey
अपने माता पिता के साथ कैप्टन मनोज पांडेय

खोलबार टॉप था पाकिस्तान का कम्यूनिकेशन हब

कैप्टन मनोज पांडेय के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल ललित राय बताते हैं कि कैप्टन मनोज पांडेय ने कुकुरथांग, जूबरटॉप जैसी कई महत्वपूर्ण चोटियों पर दोबारा कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लड़ाई के मैदान में उनके त्वरित लेकिन महत्वपूर्ण फैसले लेने की वजह से उन्हें खालोबार टॉप पर कब्जा करने भेजा गया था. खालोबार टॉप पाकिस्तानियों के लिए एक तरह का कम्यूनिकेशन हब था.

मरणोपरांत दिया गया परमवीर चक्र

खालोबार टॉप पर कब्जा करने के दौरान उनके कंधे और पैर में गोली लग गई थी, लेकिन फिर भी वो दुश्मन के बंकर में घुस गए. और हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट में दो दुश्मनों को मार गिराया. हालांकि चौथे बंकर पर कब्जा करने के दौरान वो गंभीर रूप से घायल हो गए. 3 जुलाई को कैप्टन मनोज पांडेय शहीद हो गए. कैप्टन मनोज पांडेय को, उनकी वीरता, साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया.

आज कैप्टन मनोज पांडेय के बलिदान दिवस पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. रक्षा मंत्री ने कहा,

“कारगिल युद्ध के अमर वीर एवं परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन मनोज कुमार पांडेय ने अपने शौर्य, पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान से वीरता का एक नया अध्याय लिखा.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि कारगिल युद्ध में उन्होंने जो अदम्य साहस दिखाया, वह अद्वितीय और अविस्मरणीय है. उनके बलिदान दिवस पर यह कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें नमन करता है.

– भारत एक्सप्रेस



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