शेहला राशिद. (फाइल फोटो: IANS)
एक्टिविस्ट और लेखक शेहला राशिद देश में विभिन्न शहरों में मंदिर-मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि ऐसे विवादों को कहीं न कहीं खत्म करना होगा. अगर हम 40 हजार मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने लगेंगे तो देश में गृह युद्ध छिड़ जाएगा. एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने यह बयान दिया है. इस बयान का एक छोटा वीडियो क्लिप उन्होंने सोशल साइट एक्स पर शेयर किया है.
इस पॉडकास्ट में शेहला राशिद कहती हैं, ‘अब जो मंदिर-मस्जिद के विवाद हैं, इन्हें कहीं न कहीं खत्म करना होगा, क्योंकि कोई भी इसे एक्सप्लॉएट कर सकता है. पाकिस्तान, बांग्लादेश, अमेरिका, कोई भी इसको एक्सप्लॉएट कर सकता है कि देखिए जी कैसे प्लेसेस ऑफ वर्शिप पर… आपको एकमत होना पड़ेगा. मुझे उम्मीद है कि न्यायपालिका इस पर कोई स्थायी निर्णय दे. हर कोई न्यायपालिका की ओर देख रहा है कि वो इसका कोई समाधान निकाल कर दें.’
टोकन कॉम्पेंसेशन या टोकन एक्नॉलेजमेंट
उनके अनुसार, ‘मैं यहां पर शशि थरूर से प्रेरणा लेना चाहूंगी वो एक बार यूके (ब्रिटेन) गए थे. वहां पर उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन के दौरान की गईं सभी आर्थिक गड़बड़ियों के लिए ब्रिटेन को एक टोकन कॉम्पेंसेशन या टोकन एक्नॉलेजमेंट के तौर पर भारत को एक रुपये देने चाहिए. हर चीज को आप ठीक नहीं कर सकते हैं. ब्रिटेन की पूरी संपत्ति को यहां (भारत) पर नहीं ला सकते हैं.’
तो गृह युद्ध छिड़ जाएगा
सवाल उठाते हुए शेहला ने कहा, ‘उन्होंने कहा था कि क्या कोई सुलह आयोग बनाया जा सकता है, क्या हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच कोई इंटरफेथ फोरम बनाया जा सकता है, जहां पर एक्नॉलेजमेंट हो. देखिए अब 40,000 मस्जिदों के नीचे आप मंदिर ढूंढने निकलेंगे तो इस देश में सिविल वार (गृह युद्ध) हो जाएगा. यहां पर हमें कोई और समाधान निकालना पड़ेगा. या तो जो स्थानीय समुदाय है, वो आपस में निर्णय ले ले कि मंदिर भी रहेगा और मस्जिद भी रहेगी. किस तरह से हम लैंड डिस्ट्रीब्यूट करेंगे. ये एक तरीका हो सकता है.’
वे आगे कहती हैं, ‘दूसरा तरीका हो सकता है कि एक्नॉलेजमेंट हो कि यहां-यहां पर… जैसे मथुरा में हम देखते हैं कि काफी सबूत हैं, जब मंदिर तोड़े गए थे. वहां पर हम एक्नॉलेज (स्वीकार करना) करें कि मंदिर तोड़े गए हैं. हमारी मुस्लिम कम्युनिटी की ओर से कोई एक्नॉलेजमेंट हो तो क्या वह हिंदू कम्युनिटी के लिए काफी होगा. क्योंकि सारे हिंदू ऐसे नहीं हैं. जैसे आप हैं, सुबह आपकी पहली प्राथमिकता ये नहीं होगा कि मुझे कौन सा मंदिर रिकवर करना है. आपकी प्रिफरेंस है कि मैं मेट्रो टाइम से पकड़ूं, मैं स्टूडियो टाइम से पहुंचूं. इसी तरह से मुसलमानों का भी है. मुस्लिम समुदाय के तमाम लोगों का मंदिर मस्जिद से जुड़ी राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.’
हमें आगे देखना होगा
शेहला कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि इसे कहीं न कहीं खत्म करने की जरूरत है. किसी समझौते पर पहुंचने की जरूरत है, जहां पर हम एक्नॉलेज करें कि ये हुआ और अभी तक ये पार्टिशन के लिए भी नहीं हुआ है, कश्मीर पंडितों के पलायन के लिए भी नहीं हुआ है. हम हर चीज के लिए 100 साल पीछे नहीं जा सकते हैं, क्योंकि हमें आगे देखना होगा. जैसे ऑस्ट्रेलिया आप ऐसा काफी देखते हैं. ऑस्ट्रेलिया में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान एक एकेडेमिक पेपर प्रेजेंट कर रही थीं. मुझे भी एक पेपर प्रेजेंट करना था. तो पेपर प्रेजेंट करने से पहले वो बोलती हैं कि मैं स्वीकार करती हूं कि ऑस्ट्रेलिया में मैं मूल निवासियों की जमीन पर खड़ी हूं, जिनके घर तबाह कर दिए गए.’
तब हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे
वे आगे कहती हैं, ‘जैसे मैंने कहा कि 40,000 मस्जिदों के नीचे अगर हम मंदिर खोदने बैठ जाएं तो हो गया काम. तब हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे. कोई भी इस स्थिति को एक्सप्लॉएट (अनुचित लाभ उठाना) करेगा. किस तरह से पश्चिमी मीडिया और इंटरनेशनल मीडिया में दिखाया जाएगा, आप जानती हैं. इस्लामिक देशों से हमारे राजदूतों को समन किया जाएगा, तो यह अच्छा नहीं होगा. लेकिन एक्नॉलेज किया जा सकता है कि ऐसा पहले हुआ था. जैसे तुकी में हाया सोफिया है, वो पहले चर्च था, लेकिन जब मुस्लिम आक्रमण हुआ तो उसे मस्जिद बना दिया गया. उस समय ये चलन हुआ करता था. जैसे आप यूरोप के इतिहास में जाइए. वहां पर जब वाइकिंग्स का आक्रमण होता था तो वे लोग मूर्तियां तोड़ देते थे तो ऐसा हुआ करता था, यह वास्तविकता है. ये पहले होता था और हमें कहीं न कहीं रुकना होगा.’
Mandir-Masjid disputes need to end somewhere. We can’t dig up 40,000 mosques looking for temples, because we need to look forward towards a #ViksitBharat . But there are possibilities of acknowledgement at interfaith forums (or a Truth & Reconciliation Forum) on the national… pic.twitter.com/zwx3CGa0Q0
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) January 5, 2025
-भारत एक्सप्रेस
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