
JNU की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश और म्यांमार से हो रहे अवैध प्रवासन से दिल्ली-एनसीआर की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना प्रभावित हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रवासन के कारण मुस्लिम जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे शहर की अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर दबाव बढ़ा है.
मजदूरी दर में हुयी कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी मुख्य रूप से निम्न-वेतन वाले क्षेत्रों जैसे निर्माण कार्य और घरेलू नौकरियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ा रहे हैं, जिससे मजदूरी दर कम हो रही है. वहीं, ये प्रवासी कर प्रणाली से बाहर रहने के कारण स्थानीय करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं. अवैध बस्तियों के कारण दिल्ली की सार्वजनिक सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति और बिजली पर भारी दबाव पड़ा है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानीय राजनीतिक नेता अवैध प्रवासियों को दस्तावेज उपलब्ध कराकर उन्हें मतदाता सूची में शामिल करने में मदद कर रहे हैं. इससे न केवल चुनावी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है, बल्कि अवैध प्रवासन को भी बढ़ावा मिल रहा है.
प्रवासी आबादी के असंगठित तरीके से बसने के कारण पर्यावरणीय क्षति
इसके अलावा, प्रवासी आबादी के असंगठित तरीके से बसने के कारण पर्यावरणीय क्षति हो रही है, जिसमें अनियंत्रित कचरा निपटान और अस्वास्थ्यकर रहने की स्थिति शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रवासी अवैध दस्तावेजों के जरिए नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे सुरक्षा संबंधी खतरे भी बढ़ रहे हैं.
JNU की इस रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासन की इस प्रक्रिया को रोकने और प्रभावी नीतियों के तहत निपटने की आवश्यकता है ताकि दिल्ली की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को सुरक्षित रखा जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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