अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘लोक संभाषण’ का हुआ लोकार्पण
Delhi: धर्म खतरा नहीं है, कट्टरता बड़ी समस्या है। हमारा डीएनए एक है इस हिसाब से हम सभी भारतीय एक हैं। ये विचार आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच ( आरएसजेएम) एवं लोक संभाषण के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित आरएसजेएम की द्विभाषी त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘लोक संभाषण’ के लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किए। अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘लोक संभाषण’ के इस लोकार्पण कार्यक्रम में डीयू, जेएनयू, जामिया, आईपी, डॉ बीआर अम्बेदकर, आईआईटी समेत देश के कई विश्वविद्यालय के शोधार्थी, आचार्य, प्राध्यापक और प्राचार्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
प्यार और संकेत की भाषा पूरी दुनिया में एक- डॉ इंद्रेश कुमार
डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि संप्रेषण के अनेक माध्यम हैं। प्यार और संकेत की भाषा पूरी दुनिया में एक है। हम भारतीयों के डीएनए में प्यार और सहिष्णुता है जिसे दुनिया स्वीकार करती है। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए डॉ इंद्रेश कुमार ने कहा कि गांधी के बलिदान और उनके त्याग को दुनिया मानती है। डॉ इंद्रेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीयता और सुरक्षा पर स्तरीय शोध पत्रिका की बहुत कमी थी। आरएसजेएम ने काफ़ी विचार-विमर्श के बाद इस पत्रिका की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भारत की सुरक्षा और वैश्विक शांति के लिए शोध पर आधारित लेख प्रकाशित कर भारत और दुनिया को जागृत करना है। इस पत्रिका की टीम में देश और दुनिया की नामचीन हस्तियां जुड़ी हैं। अपनी सुयोग्य टीम के बूते संगठन को विश्वास है कि बहुत जल्द ये पत्रिका अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर लेगी।
‘विकसित भारत – वैश्विक शांति’
कार्यक्रम के थीम ‘विकसित भारत – वैश्विक शांति’ विषय पर बोलते हुए अपने बीज वक्तव्य में प्रख्यात शिक्षाविद् और एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रो. जेएस राजपूत ने कहा कि भारत को विकसित करने की शुरुआत प्राइमरी स्कूल स्तर से होनी चाहिए। स्कूल शिक्षकों का दायित्व सबसे अधिक है इसलिए कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं और उनकी बुनियाद स्कूल के स्तर पर ही मज़बूत रखी गई तो वो समृद्ध समाज और देश के निर्माण में अहम रोल निभा सकते हैं। अपने पंथ और मान्यताओं को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की हठधर्मिता को छोडे बिना विश्वशांति के सपने को साकार नहीं किया जा सकता।
विकसित भारत का अर्थ है दिव्य भारत- गोलोक बिहारी
इस अवसर पर शोध पत्रिका के संपादक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) गोलोक बिहारी ने कहा कि विकसित भारत का अर्थ है दिव्य भारत। हमारे विकसित भारत की कल्पना में ही वैश्विक शांति नीहित है। श्री गोलोक बिहारी ने कहा कि संगठन का उद्देश्य जनमानस में संस्कृति के साथ जागरण पैदा करना है। उन्होंने आरएसजेएम का परिचय कराते हुए कहा कि ये सामाजिक, आर्थिक, भू-राजनीतिक रणनीतियों और समकालीन discourse के लिए एक सामाजिक संगठन है।
उन्होंने कहा कि लोक संभाषण का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा पर केन्द्रित है। हम देश और दुनिया के विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों और शिक्षकों के माध्यम से समाज को जागरूक करेंगे ताकि भारत के विकास और वैश्वक शांति का रास्ता प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि लोक संभाषण की सलाहकार समिति में डॉ राजीव नयन, डॉ एम रहमतुल्लाह, प्रो एके बोटी, रूस से डॉ तातियाना, ईथोपिया से डॉ मूलेटा, इंडोनेशिया से प्रो नूरियांटी, कजाकिस्तान से प्रो अकबोटा, उज़बेकिस्तान से उलुगबेक समेत देश और दुनिया के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और सुरक्षा विशेषज्ञ जुड़े हैं। मार्गदर्शक मंडल में डॉ इंद्रेश कुमार, पूर्व एयर मार्शल डॉ आरसी वाजपेयी, डॉ आरएन सिंह, पूर्व आईएएस आर्य भूषण शुक्ला, डॉ केजे सिंह, प्रो गुरमीत सिंह, प्रो भागीरथ सिंह, एसपीवी सिंह, प्रो संजय श्रीवास्तव, प्रो मज़हर आसिफ़ जैसे दिग्गज जुड़े हैं।
शोध पत्रिका राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी- डीन दिल्ली विश्वविद्यालय
स्वागत भाषण देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्रो बीडब्ल्यू पांडेय ने कहा कि उनका विश्वास है कि ये शोध पत्रिका राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि डॉ इंद्रेश कुमार जी के सानिध्य में ये संस्था पूरी ऊर्जा के साथ देशहित में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है। आरएसजेएम के राष्ट्रीय महामंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शोध पत्रिका लोक संभाषण और आरएसजेएम के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि इससे जुड़ने के लिए www.fansindia.in पर जाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इस अवसर पर संगठन द्वार लगाई गई चित्र प्रदर्शनी के बारे में श्री विक्रमादित्य ने कहा कि इस प्रदर्शनी के द्वारा संगठन ने बताने की कोशिश की है कि किस तरह से चीन वीगर मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है। जो क्षेत्र वर्षों पहले पूर्वी तुर्केमिस्तान हुआ करता था उसको चीन ने अपने कब्ज़े में करके उसका नाम शिनज़ियांग कर दिया और वो वहां के मूल निवासियों पर अत्याधिक अत्याचार कर रहा है। चीन सरकार ने इनको बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित कर रखा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के राष्ट्रीय आयोग के सदस्य (NCMEI) प्रो. शाहिद अख्तर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीयों में देशभावना पैदा करने का मज़बूत प्रयास किया है। उन्होंने मातृभाषा में स्कूली शिक्षा को अनिवार्य करके भाषा, देश और संस्कृति प्रेम को मज़बूत करने की कोशिश की है। प्रो शाहिद अख्तर ने कहा कि मोदी जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए देशवासियों को एकजुट होकर देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए।
सुरक्षा पर शोध और सैन्य कार्य दोनों कठिन
समारोह को आरएसजेएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सैनिक इंटेलिजेंस प्रमुख ले. जे. आरएन सिंह ने कहा कि सुरक्षा पर शोध और सैन्य कार्य दोनों बहुत कठिन है। इसलिए इस शोध पत्रिका ने बहुत महत्त्वपूर्ण एवं कठिन कार्य का दायित्व उठाया है। मेरी शुभकामनाएं पूरी टीम के साथ है। मंच के दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष ले. जे. सुरेश भट्टाचार्या ने कहा कि इस पत्रिका के स्तर की कोई भी शोध पत्रिका सुरक्षा के विषय पर अभी तक उपलब्ध नहीं है इसलिए गोलोक बिहारी जी ने अपनी टीम के साथ मिलकर बहुत बड़ा काम किया है।
शोध पत्रिका के महत्त्व पर प्रकाश
जामिया मिल्लिया नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस चेयर के डायरेक्टर प्रो. महताब रिज़वी और आईडीएसए के डायरेक्टर डॉ राजीव नयन ने भी इस शोध पत्रिका के महत्त्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। समारोह का संचालन डॉ इंद्रप्रीत कौर और सुश्री अनन्या ने बड़े ही प्रभावशाली एवं रोचक ढंग से किया। इस अवसर पर मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल डॉ विजयालक्ष्मी नंदा, आईपी कालेज की प्रिंसिपल डॉ पूनम कुमारी, आईसीपीआर की डायरेक्टर डॉ पूजा व्यास, प्रो निरंजन कुमार, प्रो. रवीन्द्र कुमार, पूर्व वीसी प्रो. राधेश्याम शर्मा, डॉ राजकुमार फुलवरिया, आरएसएस के विभाग प्रचारक अजय कुमार गौतम, डॉ प्रेरणा मल्होत्रा, प्रो गीता सिंह, प्रो मज़हर आसिफ़, डॉ तरुण कुमार गर्ग, प्रो सुधीर सिंह, डॉ इनामुल हक़, डॉ विवेक, तंज़ीम फ़ातमा समेत बड़ी संख्या में प्रोफेसर्स एवं शोधार्थी मौजूद थे।
-भारत एक्सप्रेस
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