

पिछले एक दशक में भारत ने अपनी दिशा और दशा दोनों में ऐतिहासिक बदलाव किए हैं. पहले जहां भारत को एक उभरते हुए देश के तौर पर देखा जाता था, वहीं अब वह एक ऐसी ताकत बन चुका है जो रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीक जैसे क्षेत्रों में दुनिया की अगुवाई कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों ने भारत को इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. देश में अब न सिर्फ रिसर्च को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी भी देखी जा रही है. नतीजा यह है कि भारत अब सिर्फ एक प्रतिभागी नहीं, बल्कि तकनीकी दुनिया का पथ-प्रदर्शक बन गया है.
यह सिर्फ उपलब्धियों की कहानी नहीं है, यह भारत की वैश्विक पहचान और ‘विश्वगुरु’ बनने की ओर उसके अडिग कदमों की कहानी है.
रक्षा क्षेत्र में क्रांति: अब भारत किसी से पीछे नहीं
भारत का रक्षा क्षेत्र आज दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा है. हाल के वर्षों में देश ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो पहले सिर्फ अमेरिका, रूस या चीन जैसे देशों के पास ही थीं.
- लेजर आधारित हथियार प्रणाली: भारत ने एक बड़ी छलांग लगाते हुए ऐसी लेजर तकनीक का सफल परीक्षण किया है, जो दुश्मन के ड्रोन और फिक्स्ड विंग सिस्टम को निष्क्रिय कर सकती है. इस सफलता के साथ भारत अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की उस छोटी सूची में शामिल हो गया है जो इस तकनीक में महारथ रखते हैं.
- हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण: 2024 में भारत ने देश की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है. इसकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा है.
- MIRV तकनीक: 2024 में ही भारत ने MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) तकनीक से लैस अग्नि-V का सफल परीक्षण किया. इससे एक मिसाइल से कई लक्ष्य एक साथ नष्ट किए जा सकते हैं.
- समुद्र आधारित मिसाइल डिफेंस सिस्टम: 2023 में भारत ने समुद्र से चलने वाले बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर का सफल परीक्षण किया, जिससे देश ने नेवल BMD क्षमता हासिल कर ली है.
- स्वदेशी स्टेल्थ UAV: 2023 में भारत ने स्वदेशी स्टेल्थ ड्रोन की पहली उड़ान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जो देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रमाण है.
- मिशन शक्ति (2019): भारत ने अंतरिक्ष में लाइव सैटेलाइट को मार गिरा कर ASAT (एंटी-सैटेलाइट) तकनीक में महारत हासिल की और अमेरिका, रूस और चीन के साथ एक श्रेणी में आ खड़ा हुआ.
अंतरिक्ष में भी भारत का परचम
इसरो (ISRO) के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में ऐसी ऊंचाइयां छू ली हैं जो पहले असंभव मानी जाती थीं.
- SpaDEx मिशन: हाल ही में भारत ने उपग्रह डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक में सफलता पाई है, जिससे अब वह उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो यह क्षमता रखते हैं.
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा भारत: 2023 में भारत ने इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश बना.
- क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा: 2022 में भारत ने अपनी क्रायोजेनिक इंजन निर्माण इकाई का उद्घाटन किया, जिससे वह विश्व के उन छह देशों में शामिल हो गया जो इस तकनीक में सक्षम हैं.
- 104 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च (2017): PSLV-C37 के ज़रिए भारत ने एक ही मिशन में 104 उपग्रह लॉन्च करके विश्व रिकॉर्ड कायम किया.
नई तकनीकें: भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ता भारत
भारत अब क्वांटम टेक्नोलॉजी और सेमीकंडक्टर जैसे उभरते क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
- Semicon India पहल: इस मिशन के तहत भारत ने चिप मैन्युफैक्चरिंग में कदम रखते हुए वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया है.
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (2020): 6000 करोड़ रुपये के बजट के साथ भारत ने इस मिशन की शुरुआत की है, जो देश को अगली पीढ़ी की तकनीकों में अग्रणी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.
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-भारत एक्सप्रेस
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