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Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी पर अमेरिका की टिप्पणी: भारत ने हद में रहने की नसीहत दी

बीते 26 मार्च को अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि वह अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्टों की निगरानी कर रहा है. विभाग ने भारत सरकार से केजरीवाल के लिए ‘निष्पक्ष और समय पर कानूनी प्रक्रिया’ सुनिश्चित करने का आह्वान भी किया था.

Arvind Kejriwal

सीएम अरविंद केजरीवाल.

कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में पिछले हफ्ते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणी पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास की कार्यवाहक उप-प्रमुख ग्लोरिया बरबेना (Gloria Berbena) को बुधवार (27 मार्च) दोपहर अपने कार्यालय में बुलाया था. कुछ ही देर बाद जारी एक संक्षिप्त बयान में विदेश मंत्रालय ने ‘अनुचित आक्षेपों’ के खिलाफ चेतावनी दी.

ग्लोरिया बरबेना के साथ ये बैठक करीब 40 मिनट चली. विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम भारत में किसी भी कानूनी कार्यवाही के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों का कड़ा विरोध करते हैं.

आरोप लगाना अनुचित: विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘विभिन्न देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करें और साथी लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है. अन्यथा यह अस्वस्थ मिसाल कायम कर सकता है.’ बयान में जोर देकर कहा गया, ‘भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं, जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है. उस पर आरोप लगाना अनुचित है.’

अमेरिकी विदेश विभाग ने क्या कहा था

मंगलवार (26 मार्च) को अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि वह केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्टों की निगरानी कर रहा है. विभाग ने भारत सरकार से जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता (केजरीवाल) के लिए ‘निष्पक्ष और समय पर कानूनी प्रक्रिया’ सुनिश्चित करने का आह्वान भी किया था.

अमेरिकी विदेश विभाग की यह टिप्पणी जर्मनी के विदेश कार्यालय द्वारा इस मामले पर बयान देने के कुछ दिनों बाद आई थी. जर्मनी की ओर से कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल, किसी भी अन्य भारतीय नागरिक की तरह ही निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं. भारत सरकार ने इस टिप्पणी पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. सरकार ने जर्मन दूत को तलब किया और विदेश कार्यालय के प्रवक्ता की टिप्पणी को ‘आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप’ करार दिया था.’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने के रूप में देखते हैं.’

-भारत एक्सप्रेस

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