इंडिया गठबंधन के नेता (फाइल फोटो).
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बने ‘इंडिया’ ब्लॉक में सब कुछ ठीक नहीं है. गठबंधन में इतने धागे हैं कि बार-बार एक दूसरे से उलझ ही जाते हैं. इस बात में तो सच्चाई है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक में सब कुछ ठीक नहीं हैं.
हरियाणा में हार के बाद बदले सुर
‘इंडिया’ ब्लॉक में सभी पार्टियों के गठबंधन होने के बाद भी सभी के सुर मेल नहीं खा रहे थे, गठबंधन के कुछ ही दिनों बाद नीतीश कुमार अलग रास्ता अपनाते हुए एनडीए का दामन थाम लिए. लोकसभा चुनाव में बचे बाकी के दलों ने एक साथ होने का दावा भरते रहे, बावजूद इसके ‘इंडिया’ ब्लॉक को चुनाव में असफलता हाथ लगी. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें हरियाणा में तो भाजपा को बहुमत मिला. हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े. दोनों के अलग चुनाव लड़ने पर दोनों को असफलता मिली. हरियाणा में हार के बाद ‘इंडिया’ ब्लॉक में दरार पड़ने लगे. उधर शिवसेना (उद्धव गुट) ने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व जनता को स्वीकार नहीं हैं.
महाराष्ट्र चुनाव में भी फायदा नहीं
महाराष्ट्र में चुनाव ‘इंडिया’ ब्लॉक एक साथ चुनाव लड़ा, जिसमें गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. उधर महायुति को प्रचंड जीत मिली. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवसेना ने ‘इंडिया’ ब्लॉक से हटने का मन बना लिया है. अब एमसीडी चुनाव में ‘इंडिया’ ब्लॉक से अलग होकर लड़ने का फैसला किया है. उधर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ‘इंडिया’ ब्लॉक का नेतृत्व संभालने की बात ने सियासी हलचल तेज कर दिया है. इस बात पर लालू यादव समेत कई पार्टियों के नेताओं ने सहमति दी है.
दिल्ली चुनाव से पहले ‘आप’ बनाम कांग्रेस
आगामी कुछ महीनों में दिल्ली विधानसभा का चुनाव होना हैं. चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवालों को नकार चुके हैं. अब तो दोनों पार्टियों में इस कदर रार छिड़ चुका है कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी पर प्राथमिकी करा चुकी है. इस के सापेक्ष में केजरीवाल ने ‘इंडिया’ ब्लॉक से कांग्रेस को निकालने के लिए अन्य पार्टियों से बात करने की कह चुके हैं. इससे ये तो साफ हो जाता है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक में सब कुछ ठीक नहीं हैं.
‘इंडिया’ ब्लॉक में दरार की भरमार
I.N.D.I.A यानी इंडिया गठबंधन को अलायंस आखिर क्यों माना जाए? हरियाणा में चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग चुनाव लड़ी. दिल्ली में चुनाव से पहले फिर से दोनों आमने-सामने है. अजय माकन जैसे मंझे हुए नेता बदलाव की हवा को भांप रहे हैं, केजरीवाल की 40 दिनों की सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस आज उन्हें फर्जीवाल का तगमा दे रही है. दिल्ली की जनता में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या राहुल के समर्थन से ये सब हो रहा है, या फिर नीचे के नेता अपनी जमीन तलाश कर रहे हैं. उधर पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी सीएमममता पर हमलावर होते रहे हैं. ‘इंडिया’ ब्लॉक की मजबूती की जगह सभी एक दूसरे के पैर खिंचने में लगे हैं. लालू से लेकर ‘आप’ तक कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. लगातार ‘इंडिया’ ब्लॉक की स्थिति को ध्यान में रखकर लालू यादव में बिहार में होने वाले विधानसभा के चुनाव पर सीटों के बंटवारे को लेकर चिंतित हैं.
‘इंडिया’ इज कांग्रेस की राह सही नहीं
कांग्रेस इतिहास से सबक सीख नहीं पाई हैं,अभी भी कांग्रेस को लगता है कि ‘इंडिया’ इज कांग्रेस, कांग्रेस इज ‘इंडिया’ ही है. जबकि इतिहास में ऐसा होता आया है, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है. लोग इतिहास से सीखते हैं और गलतियों को दोहराने से बचते हैं, लेकिन कांग्रेस उस राह से हटने को तैयार नहीं हैं. आज इसी कारण इंडिया’ ब्लॉक से कांग्रेस को निकालने तक की बात होने लगी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैलियों में कह चुके हैं कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, लेकिन इस बात को ‘इंडिया ब्लाक’ सिख नहीं पाई. गठबंधन में काफी मतभेद हैं. इस पर भाजपा भी हमलावर है. इस कदर मतभेद से भाजपा को फायदा होता है. माना जा रहा है कि आगामी दिल्ली चुनाव और बिहार के चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन भारी पड़ेगा. एनडीए में एकजुटता है, जबकि लोकसभा चुनाव में पहले बना ‘इंडिया ब्लाक’ बिखरने की कगार पर हैं.
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