Bharat Express

जौनपुर के सूरज ने छत्तीसगढ़ में अपनी चमक बिखेरी

UPSC की परीक्षा में 2011 में वह पहले राउंड में इंटरव्यू तक पहुंच गए थे, 2012 में एग्जाम के बदले नियमों के कारण वह मेंस क्लियर नहीं कर पाए.

IPS Suraj Singh parihar

IPS सूरज सिंह परिहार

Success Story: सूरज ने आठ बैंकों के लिए PO एग्जाम दिया और सभी एग्जाम पास कर लिया. एसएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 23 रैंक के साथ कस्टम एण्ड इक्साइज़ विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में चुने गए, आखिरी अटेंप्ट में यूपीएससी एग्जाम क्लियर किया और आईआरएस के लिए सलेक्ट हुए लेकिन सरकार UPSC के नियमों में बदलाव करते हुए दो अटैम्प्ट बढ़ा दिया और फिर सूरज IPS बन कर चमक उठे.

 

भारत के हर हिस्से में अलसुबह और देर रात तक किताबों की दुनियां में खोये छात्र अपनी और अपने परिवार के भविष्य को बदलने के लिए मेहनत करते हुए दिख जाया करते हैं. इन्हीं छात्रों में से जब कुछ की मेहनत और किस्मत का तालमेल बैठ जाता है तो वह ऐसे कीर्तिमान रच देते हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा का केन्द्र बन जाता है.

उत्तर प्रदेश में बनारस के बगल में एक जिला है जौनपुर जिसके दो संसदीय क्षेत्र हैं, जौनपुर और मछलीशहर. यहां की युवा पीढ़ी अपने लक्ष्य पर यूं फोकस करती है जैसे महाभारत में अर्जुन ने मछली की आँख पर किया था. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के जौनपुर और सुल्तानपुर जिले से सर्वाधिक प्रशासनिक अधिकारी भारतीय सेवाओं में अपने जिलों का परचम लहरा रहे हैं.

इसी जौनपुर में सूरज सिंह परिहार का भी जन्म हुआ. सूरज पांचवीं क्लास तक अपने दादा-दादी के साथ रहते हुए गांव में ही शिक्षा दीक्षा ली लेकिन पांचवीं क्लास के बाद वह अपने माता-पिता के साथ कानपुर चले गए और आगे की पढ़ाई वहीं एक हिंदी मीडियम स्कूल से की. सूरज पढ़ाई के साथ – साथ स्पोर्ट्स और क्रिएटिव राइटिंग में भी अच्छे थे. साल 2000 में, उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन के हाथों रचनात्मक लेखन और कविता के लिए राष्ट्रीय बाल श्री पुरस्कार जीता. 2001 में 81 फीसदी नंबरों और सभी पांच सब्जेक्ट में डिस्टिंक्शन हासिल करने के बाद, उन्होंने यूपी बोर्ड से 12वीं क्लास में अपने कॉलेज में टॉप किया.

परिवार बड़ा था और कमाने वाले एक, ऐसे में सूरज भी अपने पिता की मदद करने के लिए आगे आये और उन्होंने ग्रेजुएशन करने के साथ ही अपने दोस्त के साथ उन दिनों की बेहद लोकप्रिय कोचिंग क्लास इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग सेंटर की शुरुआत की. लेकिन तैयारी के लिए समय, संसाधन और घर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सूरज ने अन्य प्रयास भी करने शुरू किये.

कॉल सेंटर पर वॉइस और एक्सेंट की ट्रेनिंग लेने के बाद सूरज परीक्षा में फेल हो गए. उन्हें पैकअप करने के लिए कहा गया और एक महीने का अल्टीमेटम दिया गया. उस एक महीने में, इस नौजवान ने इतनी मेहनत की, कि उसने न केवल दोबारा एग्जाम पास किया, बल्कि कंपनी के टॉप परफॉर्म करने वालों के लिए रिजर्व ‘द वॉल ऑफ फेम’ में भी जगह बनाई.

इस सफलता के बावजूद सूरज अपने लक्ष्य से खुद को दूर पा रहे थे ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया. जो पैसे उन्होंने बचाये थे उससे वह 2007-08 में हिंदी साहित्य (यूपीएससी) के लिए कोचिंग लेने के लिए दिल्ली चले गए, लेकिन करीब छह महीने में उनका पैसा खत्म हो गया. इसके बाद सूरज ने आठ बैंकों के लिए PO एग्जाम दिया और संयोग से सभी एग्जाम पास कर लिया. सूरज ने तकरीबन 4 महीने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में काम किया और उसके बाद एसबीआई में एक साल काम किया. लेकिन यह तरक्की सूरज को लक्ष्य से भटका रही थी इसलिए इन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद सूरज एसएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 23 रैंक के साथ कस्टम एण्ड इक्साइज़ विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में चुने गए.

UPSC की परीक्षा पास कर वह पहली बार IRS के लिए सलेक्ट हुए थे, उसके बाद सूरज ने ऑल इंडिया रैंक 189 हासिल कर मात्र 30 वर्ष की उम्र में आईपीएस बनने का सपना पूरा किया.

बकौल सूरज सिंह “UPSC चयन के बाद लोग काफ़ी ज्ञानी हो जाते हैं, लेकिन मुझे उपलब्ध 6 प्रयासों (Gen) में 4 बार अपियर होके, 3 इंटरव्यू देके और 2 बार चयन लेकर इस नतीजे पर हूं- रिज़ल्ट आने तक पहली से लेके आख़िरी रैंक तक घंटा किसी को अपने रिज़ल्ट का कुछ पता नहीं होता.”

ट्रेनिंग के बाद सूरज को रायपुर में एसपी सिटी नियुक्त किया गया. वहां अच्छे कामों को देखते हुए प्रमोट किया और फिर पोस्टिंग नक्सली प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में हुईं. वहां उन्होनें युवाओं को जागरूक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई, जिसका नाम था ‘नई सुबह का सूरज’. सूरज अक्सर ही समाज के लिए अच्छे काम करने के लिए जान जाते हैं. सूरज सिंह ने छत्तीसगढ़ के पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लाइब्रेरी खोली जिसकी उन्होंने अपने पास रखी किताबों से शुरुआत की और सोशल मीडिया के माध्यम से आमजन से किताबें भी मांगी. सूरज सिंह के इस मुहिम की छत्तीसगढ़ के साथ – साथ अन्य राज्यों में भी तारीफ हुई.



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read