

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज द्वारा CLAT 2025 के सवालों को बनाने में की गई लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के कुछ निर्देशों को रद्द करते हुए मेरिट लिस्ट में संशोधन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात पर अपनी पीड़ा व्यक्त करनी चाहिए कि जिस तरह से कंसोर्टियम CLAT परीक्षा के लिए प्रश्न तैयार कर रहा है, वह देश के लाखों छात्रों की कैरियर से जुड़ा है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से साफ है कि कई सवाल सही नहीं थे. यही वजह है कि हाई कोर्ट ने कई सवालों को देखते हुए फैसला दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि CLAT बकम परीक्षा कंडक्ट कराने के लिए कोई स्थायी सिस्टम क्यों नही है. दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 अप्रैल को दिए गए आदेश में माना था कि CLAT के B, C और D सेट के चार सवालों में गलती थी. कोर्ट ने इनमें प्रभावित छात्रों को अतिरिक्त अंक देने और मेरिट लिस्ट को चार सप्ताह में अपडेट करने का निर्देश दिया था.
परीक्षाओं को कोई लाभ नहीं दिया
लेकिन कोर्ट ने A सेट को त्रुटि-मुक्त माना और उसके परीक्षाओं को कोई लाभ नहीं दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि छात्रों में बहुत चिंता है, उनकी बोर्ड परीक्षाएं चल रही है. वे बहुत छोटे हैं, इस अनिश्चितता के कारण यह छात्रों में बहुत तनाव पैदा कर रहा है. हम यह सुविधा देने के लिए एक आदेश देना चाहते हैं कि हम कितनी आसानी से शुरुआत कर सकते है. कोर्ट ने CLAT PG पाठ्यक्रम और CLAT UG पाठ्यक्रम से संबंधित रिट याचिकाओं की सामान्य सूची देने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने देश के विभिन्न हइकोर्ट्स में दायर याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. यह याचिका राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ की ओर से दायर की गई थी. दिसंबर 2024 में आयोजित CLAT 2025 परीक्षा के परिणामों के खिलाफ वर्तमान में दिल्ली हाई कोर्ट, कर्नाटक हाई कोर्ट, झारखंड हाई कोर्ट, राजस्थान हाई कोर्ट, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिकाएं लंबित थी. याचिका में आरोप लगाया गया है कि CLAT 2025 में कई सवाल गलत थे.
अनुच्छेद 32 के तहत याचिका खारिज
परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों ने 5 प्रश्नों के उत्तर के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 के उत्तरों में बदलाव करवाए थे, लेकिन 3 में बदलाव नहीं हुए थे. पिछली सुनवाई में सीजेआई ने कहा था कि अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित रिट याचिका को एक ही हाई कोर्ट में निपटाया जाना चाहिए. क्योंकि इससे जल्द सुनवाई होगी. सीजेआई ने कहा था कि हमने पहले भी अनुच्छेद 32 के तहत याचिका खारिज कर दी है, हम इसे हाई कोर्ट को भेजेंगे.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कई याचिकाएं है, कुछ में सवाल अलग-अलग है, मेल नही खाते. याचिका में सामान्य विधि प्रवेश परीक्षा 2025 के परिणामों के खिलाफ दायर याचिकाओं को विभिन्न हाईकोट्स से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. याचिका अधिवक्ता प्रीता श्रीकुमार अय्यर के माध्यम से दायर की गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने 20 दिसंबर 2024 को आंसर-की में गलतियों को लेकर कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज को CLAT 2025 के रिजल्ट को संशोधित करने का निर्देश दिया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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