दिल्ली हाईकोर्ट. (फाइल फोटो)
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अपने आदेश में कहा है कि अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (ICJS) पोर्टल पर उपलब्ध आपराधिक मामलों से संबंधित न्यायिक डेटा को अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ साझा किया जाना चाहिए ताकि अभियुक्तों से संबंधित डेटा की सटीक उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी कई डेटाबेस का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें डेटा पूरी तरह से अपडेट नहीं है.
अदालत ने कहा कि हार्ड कॉपी में रखे जाने वाले आपराधिक डोजियर अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखे जा रहे हैं और प्रौद्योगिकी ने वास्तविक समय के आधार पर डेटा साझा करना काफी आसान बना दिया है. अदालत ने कहा इस प्रकार, यदि डेटा को सिस्टम में सटीक रूप से डाला जा सकता है और पुलिस के पास उपलब्ध डेटा को न्यायालयों को उपलब्ध कराया जाता है और इसके विपरीत राज्य पर एक अद्यतन आपराधिक डोजियर बनाए रखने का दायित्व भी प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकेगा.
पीठ ने कहा जैसा कि दिल्ली पुलिस को सूचित किए गए एनआईसी के रुख से स्पष्ट है उस पर सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी द्वारा विचार किया जाना चाहिए और उसे मंजूरी दी जानी चाहिए. इस प्रकार वर्तमान आदेश को माननीय ई-कमेटी के समक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के सदस्य परियोजना प्रबंधन को भेजा जाना चाहिए.
पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक डेटा बेस को विधिवत रूप से सिंक्रोनाइज़ नहीं किया जाता है और डेटा पूरी तरह से साझा नहीं किया जाता है, तब तक एससीआरबी डेटा के संबंध में विसंगतियों से निपटने के लिए 2021 में बनाए गए एसओपी का दिल्ली पुलिस द्वारा ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय के समक्ष सभी आपराधिक मामलों में पालन किया जाना चाहिए.
पीठ ने एससीआरबी द्वारा बनाए गए ऑनलाइन आपराधिक डोजियर सिस्टम को अपडेट न करने के कारण 2021 में ट्रायल कोर्ट द्वारा प्राप्त एक स्वप्रेरणा आपराधिक संदर्भ का निपटारा किया. मामले में सिस्टम ने दिखाया कि आरोपी कई मामलों में शामिल था लेकिन आरोपी की स्थिति यह दिखा रही थी कि वह पुलिस या न्यायिक हिरासत में था.
-भारत एक्सप्रेस
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