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Kanpur: दिन हो या रात दुश्मनों के ठिकानों में घुसके वार करेगा IIT का आत्मघाती ड्रोन, कई खूबियों से होगा लैस

एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर सुब्रमण्यम सादरला ने बताया कि आने वाले 6 महीने में टारगेट को ध्वस्त करने का परीक्षण किया जाएगा और फिर इसी के साथ ड्रोन पूरी तरह तैयार हो जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर-सोशल मीडिया

Kanpur IIT: दुश्मनों के ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए कानपुर IIT ने बड़ा काम किया है. खबर सामने आ रही है कि आईआईटी ने आत्मघाती ड्रोन तैयार किया है. वो भी उस समय जब देश अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की तैयारी कर रहा है. तो वहीं जानकारी सामने आ रही है कि, आईआईटी ने ऐसा स्यूसाइडल ड्रोन तैयार किया है जो कि 100 किमी की रेंज में 6 किलो वॉरहेड (विस्फोटक) के साथ दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर देगा.

आने वाले 6 महीनों में हो जाएगा पूरी तरह से तैयार

इसकी पूरी जानकारी देते हुए एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर सुब्रमण्यम सादरला ने कहा दी कि, स्टेल्द टेक्नॉलजी के चलते इसे रेडार पर भी कोई पकड़ नही पाएगा. उन्होंने कहा कि आने वाले 6 महीने में टारगेट को ध्वस्त करने का परीक्षण किया जाएगा और फिर इसी के साथ ड्रोन पूरी तरह तैयार हो जाएगा. प्रो. सादरला ने आगे बताया कि, DRDO के DYSL प्रॉजेक्ट के तहत पिछले एक साल से इस ड्रोन पर कार्य चल रहा था. उन्होंने आगे बताया कि इसकी डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी है और इस कामीकाजी ड्रोन को तीनों सेनाओं की जरूरतों को देखते हुए तैयार किया जा रहा है.

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इस ड्रोन में होंगी कई खूबियां

उन्होंने बताया कि करीब 2 मीटर लंबे फोल्डेबल फिक्स्ड विंग ड्रोन में कई खूबियां होंगी. इसे कैमरे और इन्फ्रारेड सेंसर से युक्त बनाया जा रहा है. इसी के साथ इसे कैटपल्ट या कैनिस्टर लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकेगा. इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि, ये दुश्मन के इलाके में जीपीएस ब्लॉक होने के बावजूद आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (विजुअल गाइडेंस) की मदद से टारगेट को नेस्तानाबूत कर देगा. उन्होने इस ड्रोन की एक और खूबी बताते हुए कहा कि, बैटरी से चलने वाले इस आत्मघाती ड्रोन को लॉन्च जब किया जाएगा तो बस 40 मिनट में ही 100 किमी की रेंज में दुश्मन पर कहर बरसा देगा.

ड्रोन में होगा दूसरा विकल्प भी

एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर सुब्रमण्यम सादरला ने आगे जानकारी दी कि, इसमें दूसरा विकल्प भी होगा. इसे बेस स्टेशन से रिमोट से नियंत्रित किया जा सकेगा. इसी के साथ उन्होंने बताया कि, ये आत्मघाती ड्रोन पहले से सेट किए गए लक्ष्य से अधिकतम 2 मीटर तक ही भटक सकता है. उन्होंने कहा कि हाइब्रिड युद्धों के दौर के सबसे अहम हथियार माने जाने वाला ड्रोन हवा में पहुंचते ऑटोनॉमस होगा, यानी अल्गोरिदम के हिसाब से मशीन खुद फैसले लेगी. उन्होंने कहा कि इसका जल्द ही वॉरहेड के साथ परीक्षण किया जाएगा.

दुश्मन के इलाके की मिलेंगी तस्वीरें भी

इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया कि, ड्रोन में लगे कैमरे से बेस स्टेशन को दुश्मन के इलाके की तस्वीरें भी मिल सकेंगी. यह ड्रोन किसी भी मौसम में और कहीं भी काम करने में सक्षम होगा. इसी के साथ उन्होंने बताया कि, ड्रोन स्टेल्द तकनीक से युक्त होगा, जिसके कारण दुश्मन के रेडार इसे आसानी से पकड़ भी नहीं पाएंगे. इसी के साथ उन्होंने ये भी बताया कि यह देसी ड्रोन कम से कम 100 मीटर और अधिकतम 4.5 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भर सकेगा. तो इसमें दो सबसे बड़ी खूबी होगी वो ये कि ये दिन के साथ रात में भी दुश्मन के ठिकानों को टारगेट कर ध्वस्त करने की क्षमता रखने वाला होगा. प्रोफेसर ने ये भी बताया कि आत्मघाती ड्रोन को बनाने में डिफेंस कॉरिडोर के जरिए फंडिंग भी दी गई है जिससे कार्य में काफी मदद मिली. साथ ही ये भी जानकारी दी कि वीयू डायनमिक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में आईआईटी कानपुर भी स्टेकहोल्डर है.

-भारत एक्सप्रेस



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