सांकेतिक तस्वीर.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक मोबाइल फोन झपटने के आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया है. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला जमानत नियम है के सिद्धांत से अलग है। आरोपी विकास रावत पर मधु विहार इलाके में एक मोबाइल झपटने का आरोप है. अदालत ने कहा कि यह अदालत आरोपी के वकील की इस दलील से सहमत है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, लेकिन अदालत का मानना है कि मौजूदा मामला इस सिद्धांत का उल्लंघन है. यह पता नहीं चल पाया है कि गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों में से कौन चोरी के समय मोटरसाइकिल चला रहा था और कौन पिछली सीट पर बैठा था.
जांच अधिकारी की रिपोर्ट क्या है
जांच अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार रावत पहले भी इस तरह के वारदात में शामिल रहा है. उन्होंने कहा कि अदालत का मानना है कि पहली बार अपराध करने वाले के साथ नरमी से पेश आना चाहिए. यदि अपराधी दोबारा अपराध करता है तो अदालत को उसके साथ सख्ती बरतनी चाहिए.
जांच पूरी होने तक राहत देना उचित नहीं
अदालत का यह मानना है कि सबसे जघन्य अपराध में भी आरोपी को जमानत दी जा सकती है, अगर अपराध किसी मजबूरी में या किसी विशेष परिस्थिति में किया गया हो. साथ ही अदालत को ऐसा लगता है कि आरोपी एक ही अपराध को बार-बार अंजाम नहीं देगा. लेकिन, मौजूदा मामले में रावत को अपराध करने के तुरंत बाद एक पुलिस अधिकारी ने उसका पीछा करके पकड़ लिया था. इसके अलावा यह और भी महत्वपूर्ण है कि आरोपपत्र अभी दाखिल नहीं हुआ है और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती याचिकाकर्ता को राहत देना उचित नहीं है.
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