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Land-for-job scam case: अमित कात्याल को अंतरिम जमानत के खिलाफ ED की अपील पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

ईडी ने अमित कात्याल को मिली चार हफ्ते की अंतरिम जमानत को चुनौती दी है। अमित कात्याल, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी और के खिलाफ धन शोधन के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

Delhi HC on Amit Katyal

अमित कात्याल को ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में गिरफ्तार किया गया था.

Land for job case Bihar: हाईकोर्ट ने जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने के मामले में आरोपी व्यवसायी अमित कात्याल को दी गई अंतरिम जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर उससे जवाब मांगा है। वह 5 फरवरी से चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत पर है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अमित कात्याल को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 4 मार्च के लिए स्थगित कर दी है। जबकि उसकी अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने की मांग करने वाली अर्जी पर निचली अदालत में 5 मार्च को सुनवाई होनी है।

ईडी ने 5 फरवरी को उसे चार हफ्ते की मिली अंतरिम जमानत को चुनौती दी है। उसने 8 जनवरी को अमित कात्याल, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी और के खिलाफ धन शोधन के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। अदालत ने उसपर 27 जनवरी को संज्ञान लिया था। कात्याल को 11 नवंबर, 2023 को गिरफ्तार किया था। उसपर आरोप है कि उसने गैर कानूनी रूप से मिले लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के आय का प्रबंधन करता था।

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से राजधानी की बाल गृहों में सुविधाओं और कामकाज में सुधार के लिए सुझावों को चार सप्ताह के भीतर लागू करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ वर्ष 2018 में शुरू किए गए एक स्वत: संज्ञान मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश टम्टा की सुझावों पर यह निर्देश दिया है।

पीठ ने कहा कि अगर तय समय में सुझावों पर अमल नहीं किया गया तो दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर बताएंगे कि आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया। न्याय मित्र ने मार्च 2020 में सुझाव दिए थे, जिसके बारे में बताया गया कि अभी तक उसपर कोई कदम नहीं उठाया गया है। पीठ ने कहा कि न्याय मित्र ने लगभग 160 बाल गृहों का दौरा करने के बाद 2 मार्च, 2020 को सुझाव दिए थे, जिसे दिल्ली सरकार को लागू करना था।

न्याय मित्र ने सुझाव दिया कि बाल गृहों में घर जैसा माहौल नहीं है। इसलिए कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे प्रदान करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है। यह भी सुझाव दिया गया था कि दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग को जिला स्तर पर निरीक्षण समितियों का गठन कर अधिसूचित करना चाहिए, जो दिल्ली सरकार के तहत चलने वाले बाल गृहों का समय-समय पर दौरा करें। इसके साथ अल्पावधि प्रवास पर रहने वाले बच्चों को अल्पावधि गृह में ही रखा जाना चाहिए जिससे वे लंबे समय तक रहने वाले बच्चों को परेशान न करें और इसके लिए अलग घर बनाए जाएं।

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