LGBTQI Blood Donation
नई दिल्ली: LGBTQ+ ने रक्तदान की अनुमति देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्र सरकार, एनबीटीसी और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने 2017 के नियमों के संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. यह याचिका शरीफ रंगनेकर ने दायर की है. सुप्रीम कोर्ट 30 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करेगा.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रखा अपना पक्ष
बता दें कि ब्लड डोनर सलेक्शन गाइडलाइन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने अपना रुख सुप्रीम कोर्ट में पहले ही साफ कर दिया है. केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामा में कहा गया था कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिकों और सेक्स वर्कर्स को ब्लड डोनेशन से दूर रखा गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रखी ये दलील
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने हलफनामा में कहा था कि इस नतीजे पर पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पहुंचा गया है, विभिन्न अध्ययनों के अनुसार ऐसे लोगों में एचआईवी और हेपेटाइटिस बी या सी का प्रसार अधिक पाया जाता है. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामा में यह भी कहा था कि दिशनिर्देशों के तहत बाहर किए गए व्यक्तियों की श्रेणी वे हैं जिन्हें हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण फैलाने का अधिक खतरा रहता है. यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है कि ट्रांसजेंडर्स, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष और महिला यौनकर्मियों को एचआईवी, हेपेटाइटिस का खतरा अधिक रहता है.
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याचिकाकर्ता ने संविधान का बताया उल्लंघन
गौरतलब है कि 2017 के नियम के मुताबिक ट्रांसजेंडर, पुरुष के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को रक्तदान होने से पूरी तरह प्रतिबंधित करते है. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस तरह के पूर्ण प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17 और 21 के तहत समानता, सम्मान और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
-भारत एक्सप्रेस