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माधवपुर मेला 2025: भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह की पावन स्मृति का उत्सव

गुजरात के पोरबंदर जिले के माधवपुर गांव में इस वर्ष माधवपुर मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रमाण है.

Madhavpur Mela 2025

माधवपुर मेला 2025

Edited by Akansha

गुजरात के पोरबंदर जिले के माधवपुर गांव में इस वर्ष माधवपुर मेला 6 अप्रैल से 10 अप्रैल तक भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा. यह ऐतिहासिक मेला भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह की स्मृति में मनाया जाता है और भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है.

ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व

माधवपुर मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रमाण है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी रुक्मिणी अरुणाचल प्रदेश के भीष्मक नगर (वर्तमान में लोअर दिबांग वैली, अरुणाचल प्रदेश) की राजकुमारी थीं। जब उनके पिता ने उनका विवाह शिशुपाल से तय किया, तब देवी रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को संदेश भेजकर उनसे विवाह करने की इच्छा जताई. भगवान श्रीकृष्ण ने उनका हरण कर माधवपुर गांव में उनसे विवाह किया. यही कारण है कि इस मेले को पूर्वोत्तर और पश्चिमी भारत की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाले उत्सव के रूप में भी देखा जाता है.

मिश्मी जनजाति और उत्तर-पूर्वी भारत का संबंध

मेला न केवल गुजरात बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए भी विशेष महत्व रखता है. अरुणाचल प्रदेश की मिश्मी जनजाति का मानना है कि उनका वंश देवी रुक्मिणी के पिता, राजा भीष्मक से जुड़ा हुआ है. इस ऐतिहासिक संबंध को मान्यता देते हुए, मेले में हर साल उत्तर-पूर्वी भारत के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे भारत की विविधता और एकता का संदेश मिलता है.

सांस्कृतिक कार्यक्रम और विशेष आकर्षण

माधवपुर मेले में गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है. मेले के दौरान निम्नलिखित मुख्य आकर्षण होंगे:

1. लोक नृत्य एवं संगीत: गुजरात का गरबा, डांडिया और रासलीला जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे। वहीं, अरुणाचल प्रदेश एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के कलाकार भी अपने पारंपरिक लोक नृत्य एवं संगीत का प्रदर्शन करेंगे.
2. रंगारंग झांकियां: भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह की भव्य झांकी निकाली जाएगी, जो इस ऐतिहासिक घटना को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगी.
3. हस्तशिल्प एवं प्रदर्शनी: गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों के कलाकार अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, वस्त्र, आभूषण और अन्य कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाएंगे.
4. पारंपरिक व्यंजन: मेले में विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध होंगे, जिसमें गुजराती थाली, अरुणाचली व्यंजन और अन्य भारतीय व्यंजन शामिल होंगे.
5. धार्मिक अनुष्ठान: श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह के प्रतीकात्मक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे, जिससे भक्तों को इस पवित्र विवाह का आध्यात्मिक अनुभव मिलेगा.

पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य

माधवपुर गांव अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. यह अरब सागर के किनारे स्थित है और इसकी खूबसूरत समुद्री तटरेखा इसे पर्यटन के लिए आकर्षक बनाती है. मेले के दौरान पर्यटक पोरबंदर, द्वारका, सोमनाथ मंदिर और गिर जंगल जैसी ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं.

राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव

माधवपुर मेला न केवल धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है. उत्तर-पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत की संस्कृतियों का यह अनूठा मिलन भारतीयता की भावना को मजबूत करता है. यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान की भावना को भी सशक्त बनाता है.

माधवपुर मेला केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध परंपराओं का जीवंत मंच है. यह मेला भक्तों, पर्यटकों और सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए एक ऐसा अवसर है, जहां वे आध्यात्मिकता, कला, संगीत और इतिहास का अनुभव कर सकते हैं. इस भव्य आयोजन में भाग लेकर लोग न केवल अपनी आस्था को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ सकते हैं.

-भारत एक्सप्रेस 



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