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Meerut Jama Masjid: ‘बौद्ध मठ को तोड़कर बनाई गई जामा मस्जिद’, इतिहासकार का दावा- महमूद गजनवी ने मेरठ में भी किया था हमला

Meerut Jama Masjid Controversy: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और काशी में ज्ञानवापी के विवाद के बीच मेरठ की एतिहासिक शाही मस्जिद को लेकर भी सियासत गरमाने लगी है. वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा का दावा है कि मेरठ में जामा मस्जिद की जगह पहले बौद्ध की मॉनेस्ट्री हुआ करती थी.

मेरठ के इतिहासकार ने 1904 के अंग्रेजों के गैजेटियर का हवाला देते हुए कहा है कि आज जहां मेरठ की जामा मस्जिद स्थित है उसे बौद्ध मठ तोड़कर बनाया गया था.

Meerut Jama Masjid History: यूपी की धर्मनगरी मथुरा और काशी के प्राचीन हिंदू मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना देने के मसले को सुलझाने के लिए हिंदू संगठन अदालत से न्याय की गुहार लगा रहे हैं. इस बीच मेरठ (Meerut) की भी बड़ी मस्जिद को लेकर एक इतिहासकार ने चौंकाने वाला दावा किया है. इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा का कहना है कि मेरठ की जामा मस्जिद की जगह पहले बौद्ध मठ (मोनेस्ट्री) था. उस बौद्ध मठ को इस्‍लामिक आंक्राता महमूद गजनवी ने ढहा दिया था और फिर वहां शाही मस्जिद बनवा दी थी.

इतिहासकार डॉ. केडी शर्मा कहते हैं कि मेरे पास इससे जुड़े प्रमाण हैं. उन्‍होंने 1904 के अंग्रेजों के गैजेटियर का हवाला देते हुए कहा है कि आज जहां मेरठ की जामा मस्जिद स्थित है उसे बौद्ध मठ तोड़कर बनाया गया था. मेरठ कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ. केडी शर्मा के मुताबिक, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 410 हिजरी में आक्रांता महमूद गजनवी भारत आया था, उसने पुराने मेरठ के सबसे ऊंचे टीले पर बने बौद्ध मठ को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनवाई. उसे ही अब शाही जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है.

1875 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्‍त होने पर दिखे साक्ष्‍य
डॉ. केडी शर्मा बताते हैं कि 1875 में आए भूकंप में मेरठ की जामा मस्जिद का कुछ हिस्सा टूट गया था. जिसके कारण उसमें से बौद्ध और मौर्य पाषाण कला के कई पिलर निकलकर बाहर आ गए. यह पिलर उन्हें उनके मित्र असलम सैफी के यहां मिले थे. जिन्‍हें वह अपने घर ले आए. और, बाद में जब इतिहास के तथ्यों से उनका मिलान किया तो यह साफ हो गया है कि शाही जामा मस्जिद, बौद्ध मठ (मोनेस्ट्री) को जमींदोज करके बनाई गई थी.

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पिलर पर कमल, सूर्य और हाथियों की कलाकृतियां
डॉ. केडी शर्मा ने अपने दावे की पुष्टि के बारे में कहा, ‘आप भी ये देख सकते हैं कि जामा मस्जिद का जो पिलर है, उस पर हाथियों की कलाकृतियां हैं. कमल और सूर्य के प्रतीक स्पष्ट रूप से दिखते हैं. उक्‍त कला को इंडो बुद्धिस्ट कला नाम दिया गया था.’ वो कहते हैं कि पिलर मौर्य काल का है. 119 साल पहले ब्रिटिश गेजेटियर में भी इस घटना का जिक्र किया गया था.

— भारत एक्सप्रेस

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