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“यूसीसी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं”, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बोला- सुप्रीम कोर्ट में देंगे कानून को चुनौती

कमाल फारुकी ने कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान का हिस्सा नहीं है, इसलिए ये हमें स्वीकार नहीं है. संविधान हमें अपने धर्म का अनुसरण करने की पूरी आजादी देता है.

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सांकेतिक तस्वीर.

समान नागरिक संहिता पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य कमाल फारुकी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि हमें यूसीसी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है और वे इस कानून को कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, मुस्लिमों के पर्सनल कानून में किसी भी तरह का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है.

कमाल फारुकी ने कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान का हिस्सा नहीं है, इसलिए ये हमें स्वीकार नहीं है. संविधान हमें अपने धर्म का अनुसरण करने की पूरी आजादी देता है. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि अपने धर्म का पालन कर सकते हैं.

हमें संविधान से पर्सनल लॉ मिला है-AIMPLB

उन्होंने कहा कि हमें संविधान से पर्सनल लॉ मिला है. जो हमारे कुरान मजीद ने बताए हैं, उसमें हम किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं. इसके खिलाफ बने कानून को हम चुनौती देंगे.

उन्होंने तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं को गुजारा-भत्ते देने के कोर्ट के फैसले पर कहा कि इसके लिए रविवार को हमारी वर्किंग कमेटी की बैठक हुई है, इसमें चर्चा हुई है कि सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर किस तरह से प्रतिक्रिया दी जाएगी.

फारुकी ने सीएम योगी के मुहर्रम के संबंध में दिए गए बयान पर कहा कि, अगर मुहर्रम नहीं होगा, तो रामलीला, गुरुनानक जयंती आदि भी बंद होना चाहिए. सड़क पर कोई भी धार्मिक कार्यक्रम नहीं होना चाहिए. रामलीला को भी बंद कर देना चाहिए. सबके लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते हैं. इस देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सब समान हैं.

हम यूसीसी को चुनौती देंगे-AIMPLB

एआईएमपीएलबी प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, इसलिए अगर यहां सब एक समान कर दिया गया, तो अशांति पैदा होगी. हमारे यहां आईपीसी और सीआरपीसी के तहत कानून भी एक समान नहीं है, संविधान में भी समानता नहीं है, वहां भी अपवाद है. हम यूसीसी को चुनौती देंगे.

“ये फैसला औरतों के लिए और मुसीबत खड़ी करेगा”

उन्होंने गुजारे-भत्ते को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत का फैसला शरीयत के कानून से टकराता है. ये फैसला औरतों के लिए और मुसीबत खड़ी करेगा. उन्होंने तर्क दिया है कि अगर आदमी को तलाक के बाद भी सारी जिंदगी मेंटेनेंस देना होगा, तो वो तलाक ही नहीं देगा, और रिश्तों में जो तल्खी आएगी, उसकी वजह से जिंदगी भर औरत को भुगतना होगा. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी ने बोर्ड को अथॉरिटी दी है कि लीगल कमेटी से बात कर इस फैसले को कैसे वापस लिया जा सकता है, इस पर काम करें.

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उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को लेकर कहा कि उन्होंने सिर्फ मुहर्रम का जिक्र क्यों किया है, कावड़ यात्रा का जिक्र क्यों नहीं किया है? उत्तर प्रदेश में सड़कों पर और भी त्योहार मनाए जाते हैं, जागरण होते हैं, लेकिन मुहर्रम का जिक्र क्यों किया जा रहा है? यह सिर्फ दो समुदायों को आपस में लड़ाने की कोशिश की जा रही है. यहां पर मुस्लिम सदियों से रह रहे हैं और आपस में भाईचारा बना कर रह रहे हैं. अगर सड़क पर मुहर्रम बंद होगा, तो कावड़ यात्रा भी बंद होनी चाहिए.

-भारत एक्सप्रेस

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