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हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा; इसे अपनाने के लिए अंग्रेजी का त्याग नहीं, दोस्ताना व्यवहार चाहिए: महेश दर्पण

आज राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत (NBT) के सभागार में हुए विशेष आयोजन के दौरान ‘वर्तमान परिवेश में हिंदी की प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान दिए गए. इसमें वरिष्ठ पत्रकार महेश दर्पण समेत कई लेखक शामिल हुए.

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विचारों के साथ संबंध बनाने की ताकत है हिंदी में- महेश दर्पण

India News: भारत सरकार के नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया (NBT) के सभागार में गुरुवार, 26 सितंबर को ‘वर्तमान परिवेश में हिंदी की प्रासंगिकता’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में श्रोताओं को वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक महेश दर्पण ने वर्तमान समय में हिंदी की प्रासंगिकता पर विचार के महत्व को समझाया.

वरिष्ठ पत्रकार महेश दर्पण ने कहा, “भाषा हमारे जीवन की चेतना को जगाती है और वह शक्ति हिंदी में है. हिंदी को यह शक्ति इसलिए मिली क्योंकि उसमें विचारों के साथ संबंध बनाने की ताकत है. हम इसे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाली भाषा के रूप में याद रखते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हिंदी में अनुवाद होने के बाद एक लेखक पहले राष्ट्रीय होता है और फिर वह अंतर्राष्ट्रीय बन जाता है.”

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NBT के सभागार में दिए गए ‘वर्तमान परिवेश में हिंदी की प्रासंगिकता’ पर व्याख्यान

हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति उसका लचीलापन: दर्पण

महेश दर्पण ने स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी की शक्ति पर भी अपने विचार रखे और कहा, ”उस दौरान हिंदी को ही यह शक्ति दी गई थी कि वह अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाए और लोगों को यह बताए कि कैसे हम अपने समाज को जिता सकते हैं.” उन्होंने आगे कहा कि हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति उसका लचीलापन है, वह हमें नम्रता से बोलना सिखाती है.

अब 140 से ज्यादा देशों में रह रहे हिंदीभाषी

उन्होंने कहा, “आज दुनिया में 140 से ज्यादा देश ऐसे हैं जहाँ हिंदीसेवियों की कतारें लगी हैं, क्योंकि आज भारत से हर देश समर्थन चाहता है और यहाँ सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी है. हिंदी को अपनाने के लिए अंग्रेजी का त्याग जरूरी नहीं है, बल्कि उसके साथ दोस्ताना व्यवहार करके आप अपनी भाषा का विकास कर सकते हैं.

– नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया



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