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NDA में शामिल हुए Nitish, लेकिन BJP का प्लान तो कुछ और ही है! क्या है M,Y फैक्टर

ये तस्वीर चौंकाती नहीं लेकिन बीजेपी को खुश जरूर कर देती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इसी के साथ बीजेपी का प्लान Y को कामयाब करने के लिए M का सहारा लिया है.

nitish kumar and mohan yadav

बीजेपी का क्या है M,Y फैक्टर

ये तस्वीर चौंकाती नहीं लेकिन बीजेपी को खुश जरूर कर देती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इसी के साथ बीजेपी का प्लान Y को कामयाब करने के लिए M का सहारा लिया है. अब आप M-Y के फेर में फंस गए होंगे तो बिना देरी किए हुए आपको विस्तार से बताते हैं कि क्या है ये बीजेपी का प्लान.

बिहार में बीजेपी की नज़र नीतीश नहीं लालू यादव के वोट बैंक पर है. जिसको साधने की तैयारी पिछले महीने मध्य प्रदेश में कर ली गई थी. चुनाव में जीत के बाद भी 18 साल से सीएम रहे शिवराज को एक झटके में दरकिनार करते हुए डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. बीजेपी के इस फैसले के पीछे कोशिश Y यानि यादव वोटर को साधने की है. वो वोटर जो लालू यादव के साथ कई वर्षों से है. जीत हार में इनकी बड़ी भूमिका रहती है.

मोहन यादव के जरिये बिहार-यूपी में वोटरों को साधने की कोशिश

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव बिहार भी आ चुके हैं यहां की जनता पर अपनी छाप भी छोड़ चुके हैं. यही तो बीजेपी का प्लान है. मोहन यादव के जरिये बिहार और यूपी में वोटरों को साधने की कोशिश है.

अब नीतीश कुमार के पलटने के बाद बीजेपी के हाथ तो जैसे बटेर ही लग गया है. अब बीजेपी वहीं करेगी जैसा वो चाहती है. और बीजेपी का सबसे बड़ा प्लान तो लालू के तिलिस्म को तोड़ना है वो तिलिस्म जो पिछली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू दोनों ने देखा और सीटों के रुम में महसूस भी किया.

वैसे तो लालू के काट के लिए नित्यानंद राय को बीजेपी ने आगे बढ़ाया लेकिन वो नेता तो हैं लेकिन करिश्माई नहीं, जैसा की लालू की छवि अभी भी वो भी तब जब बढ़ती उम्र के साथ-साथ भ्रष्टाचार, जेल और बीमारी से उनका पीछा नहीं छूटा. बीजेपी इस बात को भली भांति जानती और समझती है, इसीलिए Y समीकरण को साधने के लिए नीतीश के तीर और मोहन यादव के जुबानी कमान से साधने की कोशिश कर रही है और वो दिन दूर नहीं है जब लालू के पारंपरिक वोट बैंक उनसे दूर हो जाएं. वैसे भी प्लान बीजेपी का है, लेकिन इसकी कामयाबी से तो खुश नीतीश कुमार भी होंगे क्योंकि पिछले चुनाव में जो़रों का झटका उन्हें भी Y फैक्टर से मिला था.

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वैसे भी अब लोकसभा चुनाव में ज्यादा दिन नहीं हैं. इसीलिए बीजेपी मौके की तलाश में थी और लालू परिवार का भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार सुनकर नीतीश कुमार भी पीछा छुड़ाने की फिराक में थे. अब मौका भी था और दस्तूर भी. इसीलिए ऐसा जोरों का झटका दिया कि लालू की लालटेन भी बुझ गई और चारों खाते भी चित्त हो गए. वो जबतक संभलेंगे तबतक Y फैक्टर के जरिए एक बार फिर बीजेपी अपना कमल खिला चुकी होगी.

-भारत एक्सप्रेस

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