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तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी होगी।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका अंजली पटेल ने दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि 1 जुलाई से लागू होने वाले तीनों कानून पर तुरंत रोक लगाई जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि नए कानून में कई खामिया है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया गया था कि नए आपराधिक कानूनों में कई विसंगतियां हैं। याचिका में कहा गया था कि नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोक की मांग की गई है।

कानूनों पर संसद में बहस नहीं हुई

आरोप है कि इन कानूनों पर संसद में बहस नहीं हुई और जब विपक्षी सांसद निलंबित थे, तब इन कानूनों को संसद से पास करा लिया गया था। नए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने भी याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुनवाई से पहले ही कह दिया था कि कानून अब तक लागू नहीं हुए हैं और अगर इस पर ज्यादा बहस की जाती तो याचिका को जुर्माना के साथ खारिज किया जाता।

नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को बदलना

25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों कानून पर हस्ताक्षर किए थे और सरकार ने 24 फरवरी 2024 को इसकी अधिसूचना जारी की थी। तीनों नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को बदलना है। इससे अंग्रेजों के जमाने के कानून खत्म होंगे और इससे छुटकारा मिलेगा। नए कानून में राजद्रोह के अपराध को भी समाप्त कर दिया गया है और इसे देशद्रोह में बदल दिया गया है। बता दें कि तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता अधिनियम 2023 एक जुलाई 2024 से लागू होने जा रहे है।

महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी होगी। अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से समन तामील की जा सकेगी। इससे कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी आएगी। कागजी कार्रवाई कम होगी और सभी संबंधित पक्षों के बीच समुचित संवाद सुनिश्चित होगा। नए आपराधिक कानूनों में जांच, ट्रायल और अदालती कार्यवाही में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इस नए कानून में यह प्रावधान है कि अब कोई व्यक्ति संचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट कर सकता है, इसके लिए उसे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता नही है।

जीरो एफआईआर

जीरो एफआईआर शुरू होने से, कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन पर प्राथमिकी दर्ज कर सकता है, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो। इससे कानूनी कार्यवाहियां शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की तुरंत रिपोर्ट सुनिश्चित होगा। एफआईआर की निः शुल्क प्रति पीड़ितों को एफआईआर की निः शुल्क प्रति प्राप्त होगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। गिरफ्तारी की स्थिति में, व्यक्ति को उनकी इच्छा के व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तत्काल सहायता और सहयोग सुनिश्चित होगा।

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गिरफ्तारी का विवरण अब पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्रों को महत्वपूर्ण जानकारी आसानी से मिल सकेगी। मामले और जांच को मजबूत करने के लिए, फॉरेंसिक विशेषज्ञों का गंभीर अपराधों के लिए अपराध स्थलों का दौरा करने और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य हो गया है। इसके अतिरिक्त, साक्ष्यों से छेड़छाड़ को रोकने के लिए अपराध स्थल पर साक्ष्य की प्रक्रिया की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी की जाएगी।

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