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पहली बार रामसेतु पर प्रधानमंत्री… नरेंद्र मोदी करेंगे अरिचल मुनाई पॉइंट का दौरा, यहीं भगवान राम की शरण में आए थे विभीषण

PM Modi Tamil Nadu Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह से पहले तमिलनाडु के ऐतिहासिक दौरे पर हैं. आज पीएम मोदी ने वहां कई मंदिरों में दर्शन किए और रामायण की कथाएं सुनीं. अब मोदी कल सुबह 9:30 बजे अरिचल मुनाई पॉइंट का दौरा करेंगे, यह वही स्‍थान है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं से राम सेतु का निर्माण हुआ था.

पीएमओ की ओर से बताया गया कि अपने तमिलनाडु दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जनवरी की सुबह 10:15 बजे श्री कोदंडरामा स्वामी मंदिर में पूजा और दर्शन करेंगे. कोदंडराम का मतलब है- धनुषधारी राम. धनुषकोटि भारतभूमि के छोर पर है. धनुषकोटि के बारे में मान्‍यता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार भगवान श्री राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी.

इन दिनों तमिल की विरासतों को निहार रहे मोदी

कुछ किंवदंतियाँ यह भी कहती हैं कि यही वह स्थान है जहाँ श्री राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था. तमिलवासी आज भी इस स्‍थान पर पूजा करते हैं. यहां अनेकों मंदिर हैं. इसके अलावा भू-भाग से आगे बढ़ने पर समुद्र में एक सेतु मिलता है, जो कि हजारों साल पहले अस्तित्‍व में आया था. उसे ‘रामसेतु’ कहा गया. कालांतार में वह घटता-डूबता रहा. अब उसकी लंबाई 30 किलोमीटर से कुछ ज्‍यादा है.

जहां जाएंगे PM, 100 योजन थी उस ‘रामसेतु’ की लंबाई
वाल्‍मीकि रामायण महाकाव्‍य के अनुसार, ‘रामसेतु’ की लंबाई 100 योजन थी. आधुनिक गणना कहती है कि एक योजन 8 किलोमीटर से ज्‍यादा लंबा होता था. पुराणों में उल्‍लेख मिलता है कि वर्तमान युग कलयुग है, कलयुग 4,32,000 सौर वर्ष (मानव-वर्ष) का होता है. कलयुग से पहले द्वापर युग था. द्वापर युग की अवधि 8,64,000 मानव-वर्ष थी. श्रीराम के रूप में भगवान का मानव अवतार त्रेतायुग के अंतिम चरण में हुआ था, उन्‍होंने राक्षसराज रावण समेत असंख्‍य राक्षसों का संहार किया था.

श्रीराम लाखों वर्षों पहले पृथ्वी पर अवतरित हुए थे

विद्वानों का मत है कि कलयुग को शुरू हुए अब तक लगभग 5 हजार साल ही बीते हैं. यदि द्वापर युग के 864000 मानव-वर्ष और त्रेतायुग के अंतिम चरण के वर्षों से श्रीराम के युग का आकलन करें तो वे करीब 9 लाख साल पहले पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कुछ महीने पहले अपनी एक स्टडी में यह दावा किया था कि 9 लाख साल पहले पृथ्वी पर इंसानों की संख्या 1 करोड़ से भी कम रह गई थी. ऐसे में साइंस के आधार पर भी कुछ विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि वो त्रेतायुग का अंतिम दौर रहा होगा. त्रेतायुग की अवधि 12,96,000 सौर वर्ष (मानव-वर्ष) की होती है. सबसे लंबा सतयुग होता है, जिसकी अवधि 17,28,000 सौर वर्ष होती है.

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Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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