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महाकाल मंदिर में खत्म हुआ नेताओं का कोटा, जानिए आम श्रद्धालुओं को क्या मिलेगा लाभ

MP: महाकाल मंदिर में वीआईपी प्रोटोकॉल के जरिए सांसद, विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री और कई बड़े नेता भगवान महाकाल के दर्शनों के लिए आते हैं.

MP: चुनाव आयोग द्वारा मध्य प्रदेश में चुनाव की तारीखों का एलान करने के बाद से ही राज्य में आचार संहिता लागू हो चुकी है. वहीं महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने बड़ा फैसला लेते हुए वीआईपी प्रोटोकॉल के जरिए दर्शन करने वाले नेताओं का कोटा खत्म कर दिया गया है. ऐसे में इसका फायदा आम श्रद्धालुओं को होगा.

आम श्रद्धालुओं को होगा यह फायदा

महाकाल प्रबंधन समिति की तरफ से मंदिर में भस्म आरती के लिए 350 सीटों का वीआईपी कोटा निर्धारित कर रखा था. वहीं इसके खत्म होने पर इस कोटे को आम लोगों के लिए ऑनलाइन भस्म आरती में कन्वर्ट कर दिया गया है. ऑनलाइन भस्मारती के लिए मिलने वाली अनुमति में अब 330 श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ा दी गई है.

नेताओं का ये कोटा भी खत्म

वहीं रोजाना आने वाले नेताओं के कोटे को भी समाप्त कर दिया गया है. बता दें कि मंदिर में वीआईपी प्रोटोकॉल के जरिए सांसद, विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री और कई बड़े नेता भगवान महाकाल के दर्शनों के लिए आते हैं. प्रोटोकॉल सिस्टम को बंद करने के साथ ही मंदिर में ऑनलाइन श्रद्धालुओं की संख्या जो कि 400 थी, वह अब 330 और बढ़ गई है. मंदिर प्रशासन द्वारा इस बात की जानकारी दी गई है. वहीं शीघ्र दर्शन का शुल्क लिया जाएगा.

गर्भ गृह में प्रतिबंधित है प्रवेश

बता दें कि महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में अभी पूरी तरह  प्रतिबंधित है. विशेष परिस्थिति में ही मंदिर प्रशासन द्वारा किसी को परमिशन दी जाती है. महाकाल मंदिर में अब तक जहां गर्भगृह में आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ था और वीआईपी लोगों को ही गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा था वहीं अब इसमें बड़ा बदलाव किया गया है. वीआईपी दर्शनों को भी बंद कर दिया गया है. वहीं सामान्य तौर पर आने वाले श्रद्धालुओं से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा.

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आम लोगों की तरह करना होगा दर्शन

इस बदलाव के बाद अगर कोई जनप्रतिनिधि महाकाल के दर्शनों के लिए आता है और वो शीघ्र दर्शन की इच्छा रखता है तो उससे शीघ्र दर्शन का शुल्क लिया जाएगा. महाकाल मंदिर में आने वाले राजनेताओं को अब आम श्रद्धालुओं की तरह ही दर्शन करना होंगा. बता दे कि नियमों के अनुसार मंदिर प्रशासन यदि यह सुविधा जारी रखता है तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा.



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