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Rahul Gandhi: सूरत सेशंस कोर्ट से राहुल गांधी को मिली जमानत, 13 अप्रैल को होगी मानहानि केस में अपील पर अगली सुनवाई

Rahul Gandhi: सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद, 24 मार्च को राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

Rahul Gandhi ladakh visit

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सूरत कोर्ट द्वारा ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में सुनाई गई दो साल की सजा को अदालत में चुनौती दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ उनकी बहन व पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी समेत अन्य नेता सोमवार को सूरत के सेशंस कोर्ट पहुंचे थे. 11 दिनों पहले राहुल गांधी को कोर्ट ने आपराधिक मामले में दो साल की सजा सुनाई थी. सोमवार को उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता को 13 अप्रैल तक की जमानत दे दी है. इस मामले पर कोर्ट में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.

सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में प्रतिवादियों से 10 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मामले में सुनवाई के बाद बाहर आए राहुल गांधी के वकील गौरव पांड्या ने बताया, “आज कोर्ट में अपील डाली गई, कोर्ट ने अपील को एडमिट कर लिया है. राहुल गांधी को बेल दे दी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.” दूसरी तरफ, जमानत मिलने के कुछ देर बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “ये ‘मित्रकाल’ के विरुद्ध, लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है. इस संघर्ष में, सत्य मेरा अस्त्र है, और सत्य ही मेरा आसरा!”

बता दें कि सूरत कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे में उन्हें 23 मार्च को दोषी करार देते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (किसी व्यक्ति की आपराधिक मानहानि के दोषी व्यक्ति के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया था.

सूरत कोर्ट ने सुनाई है दो साल की सजा

हालांकि, अदालत ने गांधी को उसी दिन जमानत भी दे दी थी और उनकी सजा के अमल पर 30 दिन के लिए रोक लगा दी थी, ताकि वह ऊपरी अदालत में अपील दाखिल कर सकें. सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद, 24 मार्च को राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, बशर्ते कोई उच्च अदालत उनकी दोषसिद्धि तथा सजा पर रोक न लगा दे.

-भारत एक्सप्रेस



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