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रेलवे कंबल धोता भी है या नहीं, रेल मंत्री ने सीधे-सीधे जवाब दे दिया

दरअसल कांगेस के गंगानगर से सांसद कुलदीप इंदौरा  (Kuldeep Indora) ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से रेलवे महीने में कितनी बार कंबल धोता है इसको लेकर सवाल पूछा था, जिसका जवाब रेल मंत्री ने संसद में दिया. 

एआई से जेनरेट की गई तस्वीर.

अरजेंट में कैसे झपक के तत्काल टिकट काट लें. रेलों में बोगियों के पीछे X का निशान क्यों होता है. ट्रेनें पटरियां कैसे बदलती हैं. रेलवे कंबल कितनी बार धोता है. ऐसे कई सवाल ट्रेन में सफर करते समय हमेशा आपके मन में घूम ही जाते होंगे. इनमें से एक सवाल का जवाब आज आपको पक्के तौर पर मिल जाएगा और जवाब खुद रेल मंत्री ने दिया है, वो भी संसद में खड़े हो कर.

दरअसल कांगेस के गंगानगर से सांसद कुलदीप इंदौरा (Kuldeep Indora) ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) से रेलवे महीने में कितनी बार कंबल धोता है इसको लेकर सवाल पूछा था, जिसका जवाब रेल मंत्री ने संसद में दिया.

सांसद कुलदीप इंदौरा का रेल मंत्री से सवाल था

क्या कंबल या ब्लैंकेट महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं जबकि यात्री तो बेसिक स्वच्छता स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले बिस्तर के लिए भुगतान तो कर रहे हैं

सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्वण ने बताया,

रेल यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है और रजाई कवर के रूप में उपयोग के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी प्रदान की जाती है.

रेल मंत्री (Rail Minister) ने ये भी बताया कि यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले लिनेन को साफ और उच्च गुणवत्ता वाला बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए है. इनमें खरीद प्रक्रियाओं में सुधार, मशीनीकृत लॉन्ड्रियों का उपयोग और गुणवत्ता की जांच के लिए व्हाइटो-मीटर के साथ धुलाई की निगरानी शामिल है. इन सब का उद्देश्य रेलवे का लक्ष्य यात्रियों के आराम और सुरक्षा को बढ़ाना है.

तो कूल मिलाकर बात ये है कि रेलवे आपको देने वाला कंबल कम से कम एक बार तो धोता है. बाकि आपको एक चादर एक्सट्रा भी इसलिए दे रहा है कि आप उसे कंबल के ऊपर रख सकें.


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-भारत एक्सप्रेस



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