
अमृतसर/वाघा बॉर्डर: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनावपूर्ण घटनाक्रमों के बीच, ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद अटारी-वाघा बॉर्डर पर पहली बार रिट्रीट सेरेमनी आयोजित की गई. इस कार्यक्रम में एक ओर जहां भारतीय पक्ष की गैलरी में भारी भीड़ उमड़ी, वहीं पाकिस्तान की तरफ सन्नाटा पसरा रहा.
रविवार को हुए इस आयोजन में आम दिनों की तरह बॉर्डर के दोनों तरफ गेट नहीं खोले गए और परंपरागत रूप से होने वाली हाथ मिलाने की प्रक्रिया (हैंडशेक) भी नहीं हुई. भारतीय बीएसएफ जवानों ने पूरी जोश और गर्व के साथ ध्वज उतारने की रस्म निभाई, जबकि पाकिस्तान रेंजर्स की उपस्थिति तो थी, लेकिन उनकी सक्रियता सीमित रही.
‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ की गूंज
विशेष रूप से गौर करने वाली बात यह रही कि भारतीय दर्शकों में भारी उत्साह था. ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से वातावरण गूंज उठा. वहीं पाकिस्तान की गैलरी में आम दिनों की तुलना में काफी कम लोग दिखे. ऑपरेशन सिंदूर के बाद उत्पन्न कूटनीतिक और सामरिक तनाव का असर दोनों देशों के सैन्य समारोहों पर साफ दिखाई दिया.
भारतीय सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है और सीमा पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. अधिकारियों ने कहा है कि यह कदम वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए उठाया गया है और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए रिट्रीट सेरेमनी में परंपरागत इंटरएक्शन को टाल दिया गया.
अटारी-वाघा की यह घटना न केवल सीमावर्ती हालात का प्रतिबिंब है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के चलते पुराने परंपरागत रिवाजों में भी बदलाव लाया जा सकता है. आने वाले दिनों में इस तनाव की दिशा क्या होगी, इस पर पूरे देश की नजर बनी हुई है.
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