फोटो- राइस मिल
Ghazipur News: गाजीपुर को यूं तो स्वतन्त्रता संग्राम में उसके त्याग एवं बलिदान के लिए जाना जाता है लेकिन इन दिनों गाजीपुर जिले का इचौली गॉव मानवाधिकार हनन एवं वायु प्रदूषण के वजह से चर्चा में है.
वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 1981 में ही अनुच्छेद 253 के तहत वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम बनाया गया था. इसे जून 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में लिये गए निर्णयों को लागू करने के लिये अधिनियमित किया गया था और इस सम्मेलन में भारत भी सम्मिलित हुआ था. इस बैठक में भारत सरकार ने भी वायु प्रदूषण पर रोकथाम लगाने के पक्ष में बात कही थी लेकिन उसी भारत सरकार के अधिकारी एवं कर्मचारी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कही गई बात को गाजीपुर जिले के इचौली गॉव में लागू नहीं करा पा रहे हैं.
दरअसल पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के मुहम्दाबाद तहसील के इचौली गॉव का है जहां नियमों के इतर जाकर राइस मिल चलाई जा रही जिसकी वजह से अबतक उस गॉव और ग्रामीणों ने बहुत सी तकलीफ़ें उठाई हैं. राइस मिल की वजह से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ा है तो वहीं ठीक उसके बगल में प्राथमिक विद्यालय में छात्रों का जाना घटा है. राइस मिल से निकलने वाली राख अब लोगों के घरों का हिस्सा बन चुकी है वहीं रिश्तेदार भी अब इस गॉव में आने से कतराने लगे हैं क्योंकि राइस मिल की वजह से गॉव में आने वाले मुख्य मार्ग पर घंटो तक लगा जाम, राख और साफ हवा में ना मिलने वाली सांस ने भी अन्य जगहों से आने वाले अपनों को इस गॉव के लोगों से बेगाना कर दिया है.
शिकायतों का लगा अम्बार लेकिन नहीं चेती सरकार
ऐसा नहीं है की इस गॉव के लोगों ने इस राइस मिल को बन्द कराने के लिए और गॉव से दूर करने के लिए गुहार नहीं लगाई लेकिन इसके बावजूद राइस मिल तो नहीं बन्द हो पाई लेकिन गॉव वालों की बोलती जरुर राइस मिल के मालिक के सामने बन्द हो गई. ग्राम वासियों ने सत्ता के करीबियों से लगायत सूबे के मुखिया के करीबी तक गुहार लगाई लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो पाई.
गाजीपुर जनपद के इचौली गांव में शिव शक्ति ट्रेडर्स नाम की राइस मिल से निकलने वाले काले धुएं राखड़ और धान की भूसी के उड़कर ग्रामीणों के घरों में भरने से गांव के लोग परेशान हैं. ग्रामीणों का दावा है कि यह राइस मिल बिना किसी मानक को पूरा किए जिला प्रशासन की मिली भगत से चल रही है. गौरतलब है, ग्रामीणों की शिकायत पर उप जिलाधिकारी मुहम्मदाबाद ने 26 मई 2023 को जांच में पाया है कि राइस मिल कंपोजिट विद्यालय के नजदीक बना हुआ है और घनी आबादी से घिरा है.
क्या कहते हैं नियम
नियमानुसार सघन आबादी वाले क्षेत्र में उद्योग नहीं लगाया जा सकता, साथ ही उद्योग लगाने से पहले विद्युत सुरक्षा निदेशालय एवं अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है. साथ ही अगर उस उद्योग निकलने वाले प्रदूषण की जांच समय – समय पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करेगा.
अधिकारी नहीं कर रहे अधिकार का प्रयोग
उप जिलाधिकारी मुहम्दाबाद द्वारा जिलाधिकारी गाजीपुर को प्रेषित आख्या में लिखा गया है कि राइस मिल से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. साथ ही कोई विभागीय प्रपत्र भी उपलब्ध नहीं है. लेकिन उसके बावजूद ग्रामीणों का दावा है कि आज भी यथावत रूप से राइस मिल चल रही है. अधिकारियों के पास अधिकार तो है लेकिन वह इसका प्रयोग प्रकृति और बच्चों के बचपन को बचाने के लिए नहीं कर पा रहे हैं. जब इस मामले जिलाधिकारी गाजीपुर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने व्यस्तता बताकर बाद में बात करने की बात कही वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी डॉ रामकरण ने इस विषय पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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