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Bheema Koregaon Case: ज्योति जगताप को कोर्ट से झटका, अदालत ने जमानत देने से किया इनकार, अब जुलाई में होगी सुनवाई

Bhima-Koregaon Case: भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा और प्रतिबंधित लोगों के साथ कथित संबंध रखने के मामले में गिरफ्तार होने के बाद ज्योति जगताप UAPA के तहत अपराधों के लिए सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं.

Bheema koregaon case

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Bhima Koregaon Case: भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार एल्गार परिषद की कार्यकर्ता ज्योति जगताप (Jyoti Jagtap) को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर जुलाई तक के लिए सुनवाई टाल दी.

पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि इस स्टेज पर कोर्ट कोई भी नया मैटेरियल स्वीकार नहीं करेगा. ज्योति जगताप ने बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. साल 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ज्योति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ NIA का मामला सही है, वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी की एक बड़ी साजिश की हिस्सा थीं.

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई 2023 को जगताप की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और एनआईए से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जगताप कबीर कला मंच नाम के संगठन की एक सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन के दौरान न केवल आक्रामक बल्कि अत्यधिक उत्तेजक नारे लगाए थे.

भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा और प्रतिबंधित लोगों के साथ कथित संबंध रखने के सिलसिले में गिरफ्तार होने के बाद वह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत अपराधों के लिए सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं.

इन लोगों को मिल चुकी है जमानत

कोर्ट ने कहा था कि हमारी राय है कि ज्योति जगताप के खिलाफ आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने, प्रयास करने, वकालत करने और उकसाने के एनआईए के आरोप पहली नजर में सही मानने में कोई दिक्कत नहीं है.

मालूम एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत मिल चुकी है. अदालत ने उन्हें जमानत देते समय कहा था कि ये पांच साल से जेल में बंद हैं, इनकी भागने की गुंजाइश नहीं है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट से एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को स्थायी जमानत मिल चुकी है. कोर्ट ने गौतम नवलखा की बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य के साथ-साथ इस मामले में जारी ट्रायल के जल्द पूरा न होने को देखते हुए उन्हें जमानत दी थी.

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आखिरकार क्या था पूरा मामला

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में वर्ष 2018 में एल्गार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण के बाद भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने दावा किया था कि कार्यक्रम के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध है. हिंसा के मामले में जनवरी 2018 में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के खिलाफ मामला दर्ज काया गया था. उनके साथ अरुण फरेरा, वरवरा राव, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज समेत 16 कार्यकर्ताओं को मामले में आरोपी बनाया गया था.

-भारत एक्सप्रेस



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