
तमिलनाडु की राज्यपाल आरएन रवि
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (R. N. Ravi) को हटाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह संविधान से बंधे हुए हैं और याचिका खारिज कर रहे हैं क्योंकिं उसमें उन्हें तथ्यात्मक गलतियां दिखती है. याचिका में राष्ट्रपति के सचिव और अन्य को आरएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग की थी.
याचिका में दावा किया गया था कि आरएन रवि ने राज्यपाल के दायित्वों का पालन नहीं किया और लगातार संविधान का उल्लंघन किया है. यह याचिका वकील सीआर जया सुकिन ने दायर की थी. याचिका में राजनीतिक हस्तक्षेप और संवैधानिक अतिक्रमण का हवाला दिया गया था. याचिका में यह भी कहा गया था कि राज्यपाल रवि की गतिविधियां राजनीति से प्रेरित और संवैधानिक मानदंडों के विपरीत है. याचिका में राज्यपाल के कुछ फैसलों और उनकी काम करने का ढंग पर गंभीर सवाल उठाया गया था.
जानें क्या लगा था आरोप
आरोप है कि राज्यपाल ने राज्य सरकार के साथ कई मुद्दों पर बिना विचार किए हुए हस्तक्षेप किया है. याचिका में यह भी कहा गया था कि राज्यपाल को अपनी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए और अधिक संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. दरअसल 6 जनवरी से शुरू हुए तमिलनाडु विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने बिना संबोधन के वॉकआउट कर दिया था, जिसका राज्य के मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के विरोध किया.
स्टालिन ने यह भी कहा था कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है. आरएन रवि को 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल बनाया गया था. सीएम और स्पीकर ने राष्ट्रगान गाने से मना किया सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थू गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है. लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपात्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए.
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-भारत एक्सप्रेस
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