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दो से अधिक बच्चे वालों को अब नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा

साल 2017 में सेवानिवृत हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट ने 2018 में राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल भर्ती का आवेदन किया था. उनके आवेदन को राजराजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के 24(4) का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट

Rajasthan News: राजस्थान में दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग सरकारी नौकरियां नहीं पाएंगे. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है और कहा है कि जिनके भी अब दो से अधिक बच्चे होगें वे सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे. बता दें कि एक मामले पर पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने इस फैसले को दिया था. लेकिन, यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां भी इसी फैसले को बरकरार रखा गया है. राजस्थान सरकार के 1989 के इस कानून को अब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मंजूरी मिल गई है. पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि ऐसा प्रोविजन पंचायत चुनाव लड़ने की योग्यता के तौर पर भी पेश किया गया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. 21 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दो से अधिक बच्चे वालों को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह संविधान के दायरे से बाहर है. इस प्रावधान के पीछे का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में साल 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजस्थान सरकार का नियम नीति के दायरे में आता है और इसमें हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.

याचिकाकर्ता की क्या थी अपील?

साल 2017 में सेवानिवृत हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट ने 2018 में राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल भर्ती का आवेदन किया था. उनके आवेदन को राजराजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के 24(4) का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था. बता दें कि इस नियम के तहत 1 जून 2002 के बाद दो से अधिक बच्चों के पिता को सरकारी नौकरी का प्रावधान नहीं है. रामजी लाल जाट ने इसी नियम के खिलाफ तर्क देते हुए पहले राजस्थान हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की थी.

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