सुप्रीम कोर्ट.
Delhi News: जजों की पेंशन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने चिंता जाहिर की है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इसे सुलझाने के लिए कहा है.
जिला अदालतों के रिटायर्ड जजों को मिलने वाले सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि पेंशन से संबंधित कई मामले काफी गंभीर है. सीजेआई ने कहा कि जिला अदालतों के रिटायर्ड जजों को सिर्फ 15000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में तो एक महिला जज साल में 96000 हजार यानी प्रत्येक माह 8000 रुपये पेंशन मिल रहा है.
सीजेआई ने यह भी कहा कि अब जिला अदालतों के जज पदोन्नति होकर हाई कोर्ट आये है. लेकिन उस समय तक उनकी उम्र 56-57 साल हो चुकी होती है. इस उम्र में वो आर्बिट्रेशन का मामले में नही ले रहे है और उनको 30000 हजार रुपये पेंशन मिलती है. इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को विचार करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि लंबी सेवा के बाद, वे कैसे सर्वाइव करेंगे? यह उस तरह का सेवा कार्यालय है, जहां आप पूरी तरह से अक्षम हो जाते है. आप अचानक प्रेक्टिस में नही कूद सकते है और 61-62 साल की उम्र में हाई कोर्ट में वकालत शुरू नही कर सकते हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जिस याचिका पर पूर्व में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए निर्देश दिए थे. इस बारे में एमिकस क्यूरी के. परमेश्वर से राज्यों से हलफनामों के हवाले से कहा कि विभिन्न राज्य सिफारिशें लागू करने से भारी वित्तीय बोझ का जिक्र कर विरोध कर रहे है. राज्यों का कहना है कि पेंशन में केंद्र सरकार योगदान दे तो वह इसे लागू कर सकते है.
— भारत एक्सप्रेस