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सुप्रीम कोर्ट का 78 वर्षीय महिला की डाक मतपत्र से वोट डालने की मांग पर विचार करने से इनकार

याचिकाकर्ता सरला श्रीवास्तव लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र से डाक मतपत्र से मतदान करना चाहती थीं.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई (सोमवार) को बिस्तर पर पड़ीं एक महिला सरला श्रीवास्तव (78 वर्ष) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने 2024 के आम चुनावों में डाक मत-पत्र के माध्यम से मतदान के अपने अधिकार का प्रयोग करने की मांग की थी. जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र में 7 मई को हुए ईवीएम मतदान के मद्देनजर याचिका निरर्थक हो गई है.

याचिका में क्या कहा गया

अधिवक्ता प्रणव सचदेवा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता, जो दोनों घुटनों में गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं और खड़े होने या चलने में असमर्थ होने के कारण पिछले 3 महीनों से बिस्तर पर हैं, को डाक मत-पत्र से अपना वोट डालने की अनुमति दी जानी चाहिए थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पीठ को बताया कि चुनाव नियमों और प्रावधानों के अनुसार, डाक मत-पत्र डाले जा सकते हैं.

मामले पर निर्वाचन अधिकारी ने कहा

इस मामले पर निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आपकी (याचिकाकर्ता) शारीरिक विकलांगता 40 प्रतिशत से अधिक नहीं है, इसलिए मैं आपको डाक मत-पत्र के माध्यम से वोट डालने की अनुमति नहीं दूंगा. यह आदेश का सार है. अग्रवाल ने कहा कि महिला ने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने छह मई को उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मतदान की तारीख सात मई है और डाक मत-पत्र जारी करने और उसके संग्रह के संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देश 24 घंटे में पूरा नहीं किया जा सकता है.

डाक मत-पत्र भी समयबद्ध है

याचिका की दलील पर जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि डाक मत-पत्र भी समयबद्ध है. आपको संबंधित विभाग को ईमेल के माध्यम से पहले से सूचित करना होगा. जस्टिस मिथल ने कहा कि आपको डाक मत-पत्र दाखिल करने के लिए समय प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता है, तारीख निकल गई है. एक डाक मत-पत्र को अमुक समय पर प्रस्तुत करना होगा. इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक घंटे में अपना वोट डाल देंगे.

-भारत एक्सप्रेस

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