सुप्रीम कोर्ट.
डीआरआई को सीमा शुल्क कानून 1962 के तहत दी जाने वाली शक्तियों के मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामले में 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने चार दिन से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. इस बीच सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और निजी कंपनियों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलीलें रखी.
सीमा शुल्क विभाग ने 9 मार्च 2021 के फैसले की समीक्षा की मांग की गई है. जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की पीठ ने माना था कि डीआरआई अधिकारियों को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत सीमा शुल्क विभाग द्वारा आयात के लिए पहले से मंजूरी दे दी गई वस्तुओं पर शुल्क की वसूली का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मेसर्स कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य निजी फर्मो को डीआरआई द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज कर दिया था, जिसमें शुल्क का भुगतान करने पर माल जब्त करने, ब्याज की मांग करने और सीमा शुल्क अधिनियम के तहत जुर्माना लगाने की मांग की गई थी.
वर्ष 1977 के बाद से सीमा शुल्क विभाग और डीआरआई दोनों वित्त मंत्रालय का हिस्सा रहे है और उनके अधिकारी कानून के तहत अधिकारियों का एक वर्ग बनाते हैं. सरकार के तरफ से कहा गया था कि यह फैसला एक गलत धारणा पर आगे बढ़ता है कि एक डीआरआई अधिकारी सीमा शुल्क अधिनियम के तहत उचित अधिकारी नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार के एक अलग विभाग के अधिकारी है.
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-भारत एक्सप्रेस
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