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“किसके निर्देश पर काटे गए पेड़? हलफनामा दाखिल कर बताएं”, सुप्रीम कोर्ट ने DDA और दिल्ली सरकार को लगाई जमकर फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमें बताएं कि उपराज्यपाल द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद, क्या डीडीए के अधिकारियों ने उपराज्यपाल को सूचित किया कि अदालत की अनुमति नहीं है?

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ठेकेदार को नोटिस जारी कर पूछा कि हलफनामा दाखिल कर बताएं कि किसके निर्देश पर पेड़ काटे गए. कोर्ट ने कहा कि चूंकि वास्तविक पेड़ों की कटाई ठेकेदार द्वारा की गई है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी हलफनामा देने को कहा है. कोर्ट ने पूछा कि क्या पेड़ों की कटाई के समय वृक्ष प्राधिकरण का कोई व्यक्ति मौजूद था? दिल्ली सरकार को बताना होगा कि वह पर्यावरण की भरपाई के लिए क्या कदम उठाएगी? दिल्ली सरकार को यह बताना चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

दिल्ली सरकार दाखिल करे हलफनामा

कोर्ट ने आगे कहा, दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल कर बताना होगा कि वह पर्यावरण की भरपाई कैसे करेगी? सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उपस्थित अधिकारियों में से किसी ने भी रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए कोर्ट की अनुमति लेने और अन्य क्षेत्रों में पेड़ काटने के लिए वृक्ष अधिकारी की अनुमति लेने की जरूरत के बारे में नहीं बताया. अगर किसी अधिकारी ने उपराज्यपाल को जानकारी दी तो वे अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं. सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत पेशी से छूटी दे दी है.

ठेकेदार 31 जुलाई तक दें जवाब

कोर्ट ने ठेकेदार को नोटिस जारी कर 31 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने पूछा है कि हलफनामा दाखिल कर बताए कि पेड़ काटने का आदेश किसने दिया? कटे हुए पेड़ों की लकड़ियां कहां रखी गई हैं, साथ ही प्रत्यारोपित पेड़ की संख्या भी बताएं. वहीं दिल्ली सरकार हलफनामा दाखिल कर बताए कि क्या वन विभाग के अधिकारियों सहित उसका कोई भी अधिकारी पेड़ काटने के दौरान मौजूद था? दिल्ली सरकार ने कहा कि 14 फरवरी का 422 पेड़ों को काटने का दिया गया आदेश वापस ले लिया है.

कोर्ट ने सरकार से पूछे तीखे सवाल

कोर्ट ने कहा कि यह एक स्वीकार्य स्थिति है कि ट्री ऑफिसर ने 422 पेड़ों को काटने की कभी कोई अनुमति नहीं दी. दिल्ली सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए. दिल्ली सरकार को यह बताना चाहिए कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी? कोर्ट 31 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

DDA के खिलाफ अवमानना से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें दिल्ली के उपराज्यपाल की भूमिका का एहसास उस दिन ही हो गया था जब अटॉर्नी जनरल उनके लिए खुद पेश हुए थे, यह पर्याप्त था. कोर्ट ने एक बार फिर पेड़ों की अवैध कटाई पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार कितना मुआवजा देगी और कितने पेड़ लगाएगी? यह आपकी गलती है, अब हमें बताएं कि पेड़ कहां गए? कोर्ट ने कहा कि रिज फॉरेस्ट एरिया के लिए सरकार की ओर से अनुमति देना अवमानना है और हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि आपकी अंग्रेजी की पूरी समझ गलत है. अपने अधिकारी से फिर से पूछें कि क्या वह सरकार द्वारा इस अधिसूचना को वापस ले रहा है? अगर वह सहमत नहीं होता है, तो हम अभी अवमानना नोटिस जारी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1100 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने क्या कार्रवाई की? क्या आपने इस बारे में कोई जांच की है कि किस प्रजाति के पेड़ काटे गए?

हम पर्यावरण बचाने आए हैं- कोर्ट

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आदित्य सोंधी ने कहा कि हमारे पास पूरी सूची है. कोर्ट ने कहा कि हम यहां DDA और दिल्ली सरकार के बीच लड़ाई तय करने नहीं आए हैं. हम पर्यावरण बचाने आए हैं. वरिष्ठ वकील सोंधी ने कहा कि अधिकारी अनुमति की अधिसूचना वापस लेंगे इसके लिए मेरे पास निर्देश हैं, पेड़ जब्त कर लिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमें बताएं कि उपराज्यपाल द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद, क्या डीडीए के अधिकारियों ने उपराज्यपाल को सूचित किया कि अदालत की अनुमति नहीं है? क्या उपराज्यपाल को यह बताना कर्तव्य नहीं था कि जब तक अदालत अनुमति नहीं देती हम ऐसा नहीं कर सकते? कोर्ट ने कहा कि यह सूची लकड़ियों के लिए है. सूची करने से पहले क्या आपने डीडीए से यह डेटा लिया था कि कौन से पेड़ काटे गए? आप डीडीए पर आरोप लगा रहे हैं. अब हमें बताएं कि जो पेड़ गिरे कहां गए?

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वरिष्ठ वकील सोंधी ने कहा कि उन्हें जब्त कर लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि हमें एक और बात बताएं, हमारे आदेश के बाद यह कार्रवाई क्यों की गई? जब दिल्ली सरकार को पता चला कि करीब हजार पेड़ गिर गए हैं, तो उसने क्या कार्रवाई की? कोर्ट ने कहा कि आप बिना यह जानें कि कौन से पेड़ काटे गए, कुर्की का आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? क्या इस बारे में कोई विवेक का प्रयोग किया गया था? इसमें कुछ गंभीर गड़बड़ है. कुर्क किए गए लट्ठे कीकर के पेड़ थे, जो पेड़ काटे गए वे सिर्फ़ कीकर के नहीं थे.

-भारत एक्सप्रेस

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