सुप्रीम कोर्ट.
कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनो के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच 20 अगस्त को सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव रोहित पांडेय और वकील उज्ज्वल गौड़ ने सीजेआई को पत्र लिखकर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की थी.
सीजेआई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह मामला केवल एक निर्दोष के जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन ही नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की आत्मा पर हमला है क्योंकि यह न्याय और मानवता के आदर्शों का घोर आपमान है, जिसे हमारा संविधान बरकरार रखता है.
पत्र में यह भी कहा गया है कि जिस क्रूर तरीके से ट्रेनी डॉक्टर के जीवन को खत्म किया गया उसने हमारे राष्ट्र की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है, क्योंकि उसी परिसर में क्रूरतापूर्वक दुर्व्यवहार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जहां उसने मानवता की, सेवा करने के लिए ली गई शपथ का पालन करते हुए सेवा कर रही थी.
बता दें कि कोलकाता हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने मृतक के माता-पिता की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था. कोर्ट ने ममता सरकार से कहा था कि घटना स्थानीय प्रशासन की विफलता है. वहीं ममता सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि घटना के समय वहां पुलिस मौजूद थी. इसपर कोलकाता हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा था कि वे अपने लोगों की सुरक्षा नहीं कर सके? यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
कोर्ट ने कहा था कि ये डॉक्टर निडर होकर कैसे काम करेंगे? हाई कोर्ट ने आगे कहा था कि आप घटना के बाद उपाय कर रहे हैं? दरअसल, इस मामले को कोर्ट ने अस्पताल में तोड़फोड़ से जुड़े एक ईमेल मिलने के बाद मामले में संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान कही है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि इस घटना के बाद आप क्या उपाय कर रहे है? इस पर सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा था कि मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं.
-भारत एक्सप्रेस