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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कहा- औद्योगिक शराब पर कानून बनाने के लिए सरकार की शक्ति नहीं छीनी जा सकती

सीजेआई ने कहा कि नशीली शराब पर कानून बनाने के लिए राज्य की शक्ति नहीं छीनी जा सकती. सीजेआई ने कहा कि विधायी अर्थ का उपयोग किसी शब्द के अर्थ को कृत्रिम रूप से सीमित करने के लिए नहीं किया जा सकता.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

औद्योगिक शराब को राज्य विधानमंडल की कानून बनाने की शक्तियों के तहत नशीली शराब माना जाए या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला दिया है. संविधान पीठ ने 8:1 की बहुमत से यह फैसला दिया है. संविधान पीठ ने सात जजों के संविधान पीठ के फैसले को पलट दिया है. सीजेआई ने कहा कि दो निर्णय है, एक बहुमत के लिए लिए लिखा गया है और एक जस्टिस बीवी नागरत्ना द्वारा. सीजेआई ने अपने फैसले में कहा कि बहुमत की राय ने सिंथेटिक केमिकल्स मामले में फैसले को रद्द कर दिया है.

राज्य की शक्ति नहीं छीनी जा सकती

सीजेआई ने कहा कि नशीली शराब पर कानून बनाने के लिए राज्य की शक्ति नहीं छीनी जा सकती. सीजेआई ने कहा कि विधायी अर्थ का उपयोग किसी शब्द के अर्थ को कृत्रिम रूप से सीमित करने के लिए नहीं किया जा सकता. सीजेआई ने कहा कि मादक शराब शब्द में शराब का उत्पादन, निर्माण और वितरण शामिल है. ऐसी शराब जो पारंपरिक रूप से नशा नहीं करती है, उसे भी मादक शराब माना जाएगा. यह फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने दिया है.

औद्योगिक शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार अहम

नौ जजों के संविधान पीठ में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई कि केंद्र के पास औद्योगिक शराब को विनियमय करने की शक्ति नहीं है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जीएसटी लागू होने के बाद आय के अहम स्रोत के रूप में इंडस्ट्रियल अल्कोहल को टैक्स लगाने का अधिकार काफी अहम हो गया है. इससे पहले 1990 के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नशीले अल्कोहल की परिभाषा में सिर्फ पीने योग्य अल्कोहल को ही रखा था. जबकि नियमों के मुताबिक राज्यों के पास नशा करने वाले अल्कोहल के उत्पादन, ट्रांसपोर्ट, खरीद बिक्री को लेकर नियमों का अधिकार है. राज्य जानना चाहते थे और क्या इंडस्ट्रियल अल्कोहल को भी इसी दायरे में रखा जा सकता है.

हालांकि संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 3 की प्रविष्ट 22 के अनुसार राज्य विधायिका के पास संघ नियंत्रण के तहत उद्योगों और इसी तरह के आयातित सामानों के उत्पादों के व्यापार, उत्पादन और वितरण को विनियमित करने का अधिकार है. यह तर्क दिया गया था कि सिंथेटिक्स एंड केमिकल लिमिटेड बनाम यूपी राज्य मामले में सात जजों की संविधान पीठ राज्य की समवर्ती शक्तियों के साथ धारा 18 जी के हस्तक्षेप को संबोधित करने में विफल रही थी.


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जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की उस पीठ का हिस्सा है, जो राजस्व से जुड़े एक मामले में केंद्र और राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए औद्योगिक शराब और नशीली शराब के बीच अंतर स्पष्ट करने में लगी हुई थी. इंडस्ट्रियल अल्कोहल एथेनॉल बक ही एक अशुद्ध रूप होता है. जिसका इंडस्ट्री में आमतौर पर एक सॉल्वेंट की तरह होता है. इसे डी नेचुरेटेड अल्कोहल भी कहा जाता है. इसे इंसान इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसका इस्तेमाल कई इंडस्ट्री में किया जाता है. जिसमें फार्माइंडस्ट्री और केमिकल इंडस्ट्री शामिल है, इसका इस्तेमाल क्लीनर, कॉस्मैटिक्स फ्यूल, डाई, इंक आदि में भी होता है.

-भारत एक्सप्रेस



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