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Niger Crisis: भारत ने नाइजर में व्यापक हिंसा के मद्देनजर वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को देश छोड़ने की शुक्रवार को सलाह दी गई है. अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में लगभग 250 भारतीय नाइजर में रह रहे हैं, जहां पिछले महीने के तख्तापलट के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखी गई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक परामर्श में कहा कि जो लोग नाइजर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें स्थिति सामान्य होने तक अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए.
विदेश मंत्रालय ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत नाइजर में जारी घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति के मद्देनजर, जिन भारतीय नागरिकों के लिए वहां रहना जरुरी नहीं है, उन्हें जल्द से जल्द देश छोड़ने की सलाह दी जाती है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘वे यह ध्यान रखें कि हवाई क्षेत्र फिलहाल बंद है. वहां से लौटते समय अत्यधिक सावधानी बरतें.’’
अरिंदम बागजी ने आगे कहा, ‘‘जिन भारतीय नागरिकों ने नाइजर में अपना भारतीय दूतावास में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, उन्हें जल्द ही ऐसा करने की सलाह दी जाती है.’’ उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक किसी भी सहायता के लिए नाइजर में भारतीय दूतावास के संपर्क कर सकते हैं.’’ कई यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को नाइजर से निकाला है. सेना जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने 26 जुलाई को नाइजर में तख्तापलट करके राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
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नाइजर के नए सैन्य शासन और पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय समूह के बीच तनाव बढ़ रहा है. संगठन ने नाइजर के कमजोर लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया है. ईसीओडब्ल्यूएएस (ECOWAS) ग्रुप ने गुरुवार को कहा कि उसने अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को बहाल करने की रविवार की समय सीमा समाप्त होने के बाद नाइजर में संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए एक “स्टैंडबाई फोर्स (अतिरिक्त बल)” को निर्देश दिया है.
करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले देश नाइजर ने पश्चिमी देशों के लिए अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े जिहादी विद्रोह को खत्म करने में साझेदारी की थी और अब वह आखिरी उम्मीदों में से एक के रूप में उन्हें (पश्चिम) देख रहा है. नाइजर में फ्रांस और अमेरिका के 2,500 से अधिक सैन्यकर्मी हैं और अन्य यूरोपीय साझेदारों के साथ मिलकर उन्होंने अपनी सेना को बढ़ाने में करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं. नाइजर में दो सप्ताह पहले सेना ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम का तख्तापलट कर दिया था. बजौम ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और वह नजरबंद हैं.
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