सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्र) की वैधता को लेकर दायर वाईएसआर कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. वाईएसआर कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा था कि हाईकोर्ट ने मामले में गंभीरता को ध्यान में नहीं रखा और याचिका को खारिज कर दिया.
पोस्टल बैलेट की वैधता को लेकर वाईएसआर कांग्रेस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसके लिए चुनाव याचिका की वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध है.
हाईकोर्ट ने क्या कहा था
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान बिना चुनावी याचिका के अदालत चुनाव आयोग के मामले में दखल नहीं देगा. वाईएसआर कांग्रेस ने याचिका में सवाल उठाया था कि बिना अटेस्टिंग अधिकारी के मुहर को पोस्टल बैलेट को कैसे वैध मान लिया जाता है.
यह याचिका टीडीवी विधायक वेलागुपुड़ी रामकृष्णा की ओर से दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है. हाल ही में चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि अगर सुविधा केंद्रों पर ही पोस्टल बैलेट डाले गए हैं और इस पर अटेस्टिंग अधिकारी के साइन हैं, लेकिन इस पर मुहर नहीं लगा है तो उसे भी वैध माना जाएगा.
डाक मतपत्रों की गिनती पहले होती थी
गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव तक पोस्टल बैलेट यानी डाक मतपत्रों की गिनती पहले होती थी और उसके आधे घंटे बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होती थी. ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू करने से पहले सारे पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी हो जाती थी. इस संबंध में काउंटिंग एजेंटों के लिए फरवरी 2019 में जारी गाइडलाइंस में यही बात कही गई है कि किसी भी हालत में पोस्टल बैलेट की गिनती पूरा करने से पहले ईवीएम गिनती के सभी राउंड के नतीजे घोषित नही किए जाने चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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