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भोजशाला मामले पर जैन समाज की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार, पूजा का अधिकार देने की मांग

Dhar Bhojshala: याचिका में कहा गया है कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे में भी बहुत सी मूर्तिया निकली हैं वह भी जैन धर्म से संबंधित है. भोजशाला एक जैन गुरुकुल था. इसमें सभी धर्म के बच्चे पढ़ने आते थे.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

Dhar Bhojshala: मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला पर हिंदू और मुस्लिम समाज के बाद अब जैन समाज की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है. जैन समाज की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जैन समाज का भी पक्ष सुना जाए. यहां पर जो ब्रिटिश संग्रहालय में मूर्ति है वह जैन धर्म की देवी अंबिका की है. बाग्देवी कि नही.

याचिका में कहा गया है कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे में भी बहुत सी मूर्तिया निकली हैं वह भी जैन धर्म से संबंधित है. याचिकाकर्ता सलेकचंद्र जैन ने अपनी याचिका में कहा है कि जैन समाज को पूजा का अधिकार मिले और इसे जैन समाज को सौंपा जाए. याचिकाकर्ता ने कहा कि 1875 में खुदाई के दौरान भोजशाला से वाग्देवी की मूर्ति निकली थी, लेकिन वह जैन धर्म की देवी अंबिका की मूर्ति है. सलेकचंद्र जैन का कहना है कि राजा भोज कवियों को पसंद करते थे, वे सर्वधर्म प्रेमी रहे, उनके दरबार में धनंजय जैन कवि रहे है. कवि धनंजय जैन ने एक किताब संस्कृत में लिखी थी.

जैन समाज ने किया दावा

भोजशाला एक जैन गुरुकुल था. इसमें सभी धर्म के बच्चे पढ़ने आते थे. जैन धर्म की प्राकृत भाषा का संस्कृत में अनुवाद भी भोजशाला में होता था. यहां आदिनाथ भगवान का मंदिर था. यहां से नेमिनाथ भगवान की मूर्ति भी निकली है. जो 22वे तीर्थकर है. भोजशाला में जैन धर्म से संबंधित कुछ चिन्ह भी निकले है. जैसे कछुआ निकला है. हमारे जो 20 वे तीर्थकर है उनका चिन्ह कछुआ था. शंख भी मिला है. 22 वे तीर्थकर नेमिनाथ भगवान का चिन्ह शंख है.

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने की मांग

इससे पहले हाल ही में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से एक याचिका दायर की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अप्रैल के दिए गए उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने ASI की रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया था. हिंदू पक्ष का कहना है कि ASI की रिपोर्ट में वहां मंदिर होने की पुष्टि हुई है. अगर मुस्लिम पक्ष को रिपोर्ट पर ऐतराज है तो वो हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा सकता है. इस पर हाई कोर्ट उचित आदेश पास करने में समर्थ है. इसलिए अब हाई कोर्ट की कार्रवाई पर रोक का औचित्य नहीं है.

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हिंदू पक्ष का यह भी कहना है कि मस्जिद कमेटी ASI जांच पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट थी लेकिन अब ASI जांच पूरी हो चुकी है और ASI ने हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट भी दाखिल कर दी है. बता दें कि सर्वे के दौरान मुश्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सर्वे रोकने के लिए याचिका दायर की थी. तब कोर्ट ने सर्वे पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन सर्वे के आधार पर फैसला लेने पर रोक लगाई है.

-भारत एक्सप्रेस



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