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Vikas Bharti Bishunpur: झारखंड में विकास भारती बिशुनपुर द्वारा विश्व युवा दिवस के अवसर पर दो दिवसीय जनजातीय युवा कला एवं सांस्कृतिक समागम का आयोजन किया गया. इस दौरान राज्यभर से 10000 प्रतिभागियों सहित 18 जनजातीय समूहों द्वारा पारंपरिक नृत्य-गायन से झारखंडी कला का प्रदर्शन किया गया.
संवाददाता ने बताया कि इस अवसर पर विकास भारती के सचिव पदम श्री से सम्मानित अशोक भगत ने ग्रामीणों एवं आश्रम में रहने वाले बच्चों को तिलकुट वितरित किया. सातो गांव में हर साल की तरह इस वर्ष भी किसान मेला सम्पन्न हुआ, जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्र, गुमला, विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा उत्कृष्ट उत्पादनों के लिए किसानों को पुरस्कृत किया गया व इस दौरान बच्चों की प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुईं.
विकास भारती की स्थापना वर्ष 1983 में आज ही के दिन 14 जनवरी को हुई थी. आज विकास भारती अपनी 41 वर्षों की यात्रा पूरी कर 42वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. विकास भारती के दुर्गम जनजातीय और आदिम क्षेत्रों के गरीबों की सेवा के कामों के बारे में झारखण्ड से जुड़ाव रखने वाले अधिकांशत: लोग जानते हैं, लेकिन विकास भारती की स्थापना कैसे हुई, इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अशोक राय जिन्हे अब भगत “बाबा” के नाम से जाना जाता है उन्होंने आपातकाल के कुछ साल बाद अत्यंत उत्साह के साथ चुनौतियों को स्वीकार करने का फैसला किया और गरीबों की सेवा करने के लिए सबकुछ त्यागने को तैयार हो गए, जो अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे, अशोक भगत झारखंड (तब संयुक्त रूप से बिहार) के गुमला जिले के बिशुनपुर ब्लॉक में पहुंच गए.
नेहरहाट घाटी के भीतर के क्षेत्र बिशुनपुर पहुँचते समय अशोक भगत और उनके तीन साथी महेश शर्मा, डॉ. राकेश पोपली, डॉ. रजनीश अरोड़ा वहाँ के आदिवासियों द्वारा सामना किए गए परिदृश्यों से गुजरते समय आश्चर्यचकित रह गए. वे सभी पिछड़ेपन और अंधविश्वास से ग्रस्त थे, जिसके कारण शिक्षा की कमी, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, गरीबी, जागरूकता की कमी आदि जैसी स्थिति उत्पन्न हुई. इस प्रकार एक व्यापक सर्वेक्षण और स्थिति विश्लेषण के बाद उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, सामुदायिक गतिशीलता जैसे मुद्दे , क्षेत्र में आदिवासियों के विकास के लिए जागरूकता और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
विकास भारती धीरे-धीरे सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के उत्प्रेरक के रूप में विकसित हुआ. विकास भारती बिशुनपुर ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी को बचाने और उसकी सेवा करने का माहौल बनाया. इस आंदोलन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा बहुत सराहा गया और पुरस्कृत किया गया. विकास भारती ने अपने पारंपरिक कौशल और कला को निखारकर स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता का द्वार खोला. विकास भारती ने तकनीकी इनपुट, राजकोषीय इनपुट, विपणन नेटवर्क और मानव संसाधनों के साथ ग्रामीण जनता का समर्थन किया.
आगे बढ़ते हुए विकास भारती बिशुनपुर ने सामाजिक-आर्थिक विकास एवं जागरूकता की चुनौती को स्वीकार किया. यह अवधारणा ग्राम स्वराज अभियान के रूप में उभरी है जो आरटीआई, मनरेगा, वन अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि जैसे मानवाधिकारों के लिए एक आंदोलन बन गई है. युवाओं और महिलाओं का सशक्तिकरण एक मिशन है जो स्पष्ट रूप से उनके सामाजिक-सांस्कृतिक प्रयासों के माध्यम से देखा जाता है.
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