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Waqf Amendment Act 2025: वक्फ संशोधन अधिनियम लागू, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

Waqf Amendment Act 2025 अब 8 अप्रैल से प्रभावी हो गया है, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने जैसे बड़े बदलाव किए गए हैं.

Waqf Amendment Act

Waqf Amendment Act 2025: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 अब आधिकारिक रूप से लागू हो गया है. मंगलवार को केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी. यह अधिनियम 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जाएगा. इस कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी रविवार को मिली थी, जो संसद में पारित होने के दो दिन बाद आई.

सरकारी गजट में प्रकाशित अधिसूचना में कहा गया, “वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत केंद्र सरकार 8 अप्रैल, 2025 को इस अधिनियम के प्रभाव में आने की तिथि घोषित करती है.”

इस संशोधन अधिनियम में मूल वक्फ कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. अब वक्फ संस्थाओं से ट्रस्टों को अलग किया गया है. संपत्ति प्रबंधन के लिए डिजिटल और तकनीकी माध्यमों को अपनाया गया है. पारदर्शिता के लिए एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है.

“यूज़र द्वारा वक्फ” को मिली कानूनी सुरक्षा

सिर्फ उन मुस्लिमों को वक्फ संपत्ति दान करने की अनुमति होगी जो इस्लामी रीति का पालन करते हैं. साथ ही “यूज़र द्वारा वक्फ” (Waqf by User) की संपत्तियों को भी कानूनी सुरक्षा दी गई है, जिनका ऐतिहासिक रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा उपयोग किया जाता रहा है. इसके अलावा पारिवारिक वक्फ में महिलाओं के अधिकारों को भी मान्यता दी गई है.

यह विधेयक शुक्रवार, 4 अप्रैल को राज्यसभा में लंबी 17 घंटे की बहस के बाद पारित हुआ. इससे पहले लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को “भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम” बताया.

विपक्ष का विरोध और आरोप

सरकार के अनुसार, यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उद्देश्य से बनाया गया है. साथ ही यह सभी मुस्लिम समुदायों की वक्फ बोर्ड में समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए है. हालांकि, इस कानून को लेकर विपक्षी दलों ने तीव्र विरोध जताया है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह कानून विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए लाया गया है.

इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है, जिनमें इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है. संभावित कानूनी चुनौतियों को भांपते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट भी दायर की है. इसमें आग्रह किया गया है कि बिना सरकार का पक्ष सुने कोई आदेश न दिया जाए.

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-भारत एक्सप्रेस 



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