Ghaziabad: देश की एकता अखंडता संप्रभुता एकरसत समरसता को बनाए रखने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच “आओ जड़ों से जुड़ें” मुहिम को देश भर में शिद्दत के साथ बढ़ाएगा। “आओ जड़ों से जुड़ें” का मूलमंत्र है कि भले ही हम ईमान में दाखिल हो गए हों लेकिन जिस शिजरे (वंशावली) में पैदा हुए हैं उसकी खिदमत करें, हिफाजत करें और आगे बढ़ाएं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का संकल्प है कि हम वतन से, तहजीब से, बुजुर्गों से एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे।
इन बातों पर संघ के वरिष्ठ नेता और मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार की अध्यक्षता में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपनी दो दिवसीय कार्यशाला में सर्वसम्मति से मुहर लगाई। इस दौरान श्री राम, यूसीसी, तलाक, हिजाब, विवादित भूमि पर इबादतगाह, पूर्वजों, परम्पराओं, संस्कृति, राष्ट्रप्रेम और भारतीयता के मुद्दों पर अहम फैसले लिए गए। साथ ही राष्ट्र विरोधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की वकालत की गई। कार्यशाला के बारे में मंच के प्रभारी शाहिद सईद ने विस्तार से जानकारी दी।
दो दिवसीय कार्यशाला में कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट, यूसीसी, वतनपरस्ती और भारत को विश्वगुरु बनाने पर ज़ोर
दो दिवसीय कार्यशाला में इंद्रेश कुमार, आरएसएस मेरठ प्रांत प्रचारक सूर्य प्रकाश टोंक, प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव, राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल, शाहिद अख्तर, इस्लाम अब्बास, अबु बकर नकवी, इस्लाम अब्बास, स्वामी मुरारी दास, खुर्शीद रजाका, सूफी शाह मलंग हक्कानी, राजा रईस, फैज खान, गिरीश जुयाल, हाजी साबरीन, इमरान चौधरी, शालिनी अली, तुषारकांत समेत अनेकों पदाधिकारी उपस्थित थे। 500 से अधिक मौजूद कार्यकर्ताओं में से अनेकों वैसे मुसलमान भी थे जिन्होंने अयोध्या के श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन किया था। उपस्थित लोगों ने राम को अपना पूर्वज मानते हुए जय सिया राम के नारे भी लगाए।
कार्यशाला में मंच के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने स्पष्ट रूप से कहा गया कि जड़ों से जुड़ें का अर्थ किसी तरह का धर्म परिवर्तन नहीं है। बल्कि यह इसलिए जरूरी है कि लोग अपनी परम्पराओं और पूर्वजों से अधिक से अधिक जुड़ें क्योंकि भारतीय मुसलमान किसी बाहरी देश से आए मुसलमान नहीं हैं। सब यहीं के हैं और पहले सनातनी ही थे जिन्होंने बाद में मजहब बदल कर अपना धर्म परिवर्तन किया है।
शाहिद अख्तर ने विश्विद्यालयों में कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कोर्स पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के काम से लोग अपनी विरासत को जान सकेंगे। इसके लिए अलग क्षेत्र में जाकर डेटा इकट्ठा करने के बारे में उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि बीएचयू में इस बारे में ज़ोर दिया जा रहा है। इस कदम को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने विकसित भारत के लिए इस मुहिम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इससे कट्टरता और साम्प्रदायिकता दूर होगी और हम सब एक दूसरे के करीब होंगे।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना- इंद्रेश कुमार
इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि अगर अपने वंशावली (शिजरे) को अगर जानेंगे तो पाएंगे कि कुछ जेनरेशन पहले हम कौन थे, हमारा गोत्र क्या था? हमारे पूर्वज का परिवार कहां है? परिवार के बाकी लोग कहां हैं? क्या कर रहे हैं? अगर उनसे मुलाकात को यथासंभव बनाएं तो हम खुद ब खुद देश की एकता अखंडता में विश्वास रखने वाले हो जायेंगे। धर्म भले ही अलग है लेकिन हमारी जड़ें एक हैं। वैसे भी मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि दुनिया भर के देशों में हो रहे आतंकी हमले चाहे वो रूस यूक्रेन में हो या इजरायल फिलिस्तीन में हो या बीच में तुर्की या ईरान का मामला हो… भारत सरकार और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने एक ही स्वर में कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद हो वो अमानवीय था है और रहेगा। अगर हम कट्टरवादी और मजहबी बनेंगे तो विषैले बनेंगे। भारत सरकार ने गाजा में अनेकों ट्रक दवाओं, कपड़ों, अनाजों का जखीरा भेजा। इसी प्रकार इंद्रेश कुमार ने जी 20 के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करते हुए इसे अभूतपूर्व बताया।
इन्हीं सब विषयों पर अपनी बात रखते हुए इंद्रेश कुमार ने कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट के बारे में कहा कि सभी की फैमिली ट्री को अगर देखा जाए तो पूरी दुनिया के 800 करोड़ वसुधैव कुटुम्बकम् के अंतर्गत एक हो जायेंगे। अगर इस पर काम हुआ तो दुनिया में कहीं कोई नफरत नहीं होगी।
इस दौरान देश भर के अहम हिस्सों से आए मुसलमानों को संबोधित करते हुए मंच के अध्यक्ष मोहम्मद अफजाल ने कहा कि हिंदुस्तान में हम सभी के पूर्वज, संस्कृति, सभ्यता एक है। मंच ने माना कि जो लोग हिन्दू मुसलमान के बीच दूरी फैलाना चाहते हैं, फिरकापरस्ती करना चाहते हैं, दीन के नाम पर इस्लाम को बदनाम करने के नाम पर देश तोड़ने चाहते हैं उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए।
अपने धर्म पर चलो, दूसरे धर्म की इज्जत करो
कार्यशाला में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि अपने अपने धर्म पर चलो, दूसरे धर्म की इज्जत करो, लड़ाइयों, दंगों, छुआछूत मुक्त देश बनाओ। हम सब हिंदुस्तानी थे हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी रहेंगे। इसी संदर्भ में सभी ने माना कि यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी के लिए मान्य होना चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एक झंडा, एक देश, एक विधान को समर्थन करता है। इस मुद्दे पर यह स्वीकार किया गया कि यूसीसी से देश को मजबूती मिलेगी। समानता कानून से सभी को फायदा है, यह किसी भी धर्म मजहब समुदाय के खिलाफ नहीं है। इस मामले पर जो कोई भी भड़काने का प्रयास करता है वह शांति समृद्धि का दुश्मन है।
कार्यशाला के दौरान इस्लाम और कुरआन के हवाले से अनेकों बातें रखी गईं जिनमें वतन से मुहब्बत को सबसे बड़ी हूबबल वतनी, सबसे बड़ा ईमान माना गया। बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने सर्वसम्मति से माना कि मजहब भले ही बदला जा सकता है लेकिन पूर्वज, परम्परा, सस्कृति नहीं बदली जा सकती है। कार्यशाला में यह मुद्दा भी उठा कि जिस प्रकार जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है उसी तरह इस्लाम में माना जाता है कि मां के कदमों में जन्नत है। इसी तरह वतन से मुहब्बत हिफाजत सबसे बड़ा ईमान है और इन बातों से कतई समझौता नहीं किया जा सकता है।
जब सबका मालिक एक है तो फिर लड़ाई झगड़ा या फसाद क्यों?
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की कार्यशाला में यह बात भी रखी गई कि जब सबका मालिक एक है तो फिर लड़ाई झगड़ा या फसाद क्यों? सभा में यह बात भी आई कि इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता कि किसी भी दूसरे धर्म की बेइज्जती की जाए। इस्लाम इस बात की इजाजत भी नहीं देता है कि दूसरे के धर्मस्थलों, पूजास्थलों को तोड़ कर अपनी इबादतगाह बनाई जाए। इसलिए ऐसे सभी विवादित स्थलों जहां मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है वहां इबादत जायज नहीं है। ऐसे स्थानों को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।
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कार्यशाला में तलाक को लेकर भी बात उठी। सभी ने माना कि तलाक को इस्लाम में सबसे खराब में से एक काम कहा गया है। बुद्धिजीवियों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर आप तलाक देना ही चाहते हैं तो क्रोध, नफरत और हिंसा को तलाक दीजिए… इससे सभी की जिंदगी में अमूल चूल बदलाव देखने को मिलेगा, आपसी सौहार्द बढ़ेगा।
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